advertisement
रिजर्व बैंक की मॉनेटिरी पॉलिसी कमेटी की बैठक जारी है. 6 जून को पॉलिसी का ऐलान होगा. लेकिन हर बार की तरह दो महीने में होने वाली इस बैठक से पहले रेपो रेट में कटौती को लेकर कयासों का दौर शुरू हो चुका था. सवाल वही पुराना कि रिजर्व बैंक इस बार रेपो रेट में कटौती करेगा या पहले की दो कटौतियों को देखते हुए हाथ रोक लेगा.
अब जरा जमीनी हालात पर गौर कीजिए
इन हालातों को देखने से लगता है कि रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती करेगा. सिस्टम में इससे पैसा आएगा और लोन सस्ता होगा. रिजर्व बैंक पिछले दो बार के दौरान रेपो रेट में 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है. इस बार भी इस पर रेट कटौती का भारी दबाव है. लेकिन आरबीआई के सामने दुविधा भी है. अब तक की गई कटौतियों का फायदा बैंकों ने अपने ग्राहकों को नहीं दिया है. दूसरी ओर, अर्थव्यवस्था में जो गिरावट दिख रही है, वे स्ट्रक्चरल सुधारों की मांग कर रहे हैं. जैसे - भूमि ग्रहण और श्रम कानूनों में सुधार. इन्फ्रास्ट्रक्चर और मैन्यूफैक्चरिंग को रफ्तार देने की कोशिश से जुड़े सुधार. इन सुधारों पर बड़े कदम की जरूरत है. सिर्फ रेट कटौती से अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं आने वाला.
हालांकि बाजार को अभी लिक्वडिटी की जरूरत है. रिजर्व बैंक पिछली दो बार के दौरान रेपो रेट में 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है. इससे रेपो रेट घट कर छह फीसदी पर आ गया है. मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है. कुछ एक्सपर्ट्स और ब्रोकरेज हाउस 35 और कुछ 50 बेसिस प्वाइंट यानी आधा फीसदी की कटौती का अनुमान लगा रहे हैं.
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि रिजर्व बैंक 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है. क्योंकि एक तो महंगाई कम है. हालांकि खाद्य महंगाई में बढ़ोतरी हुई है लेकिन अभी तक यह काफी कम थी. इस बढ़ोतरी के बावजूद महंगाई अभी इस स्तर पर नहीं पहुंची है कि रेपो रेट में कटौती का फैसला न लिया जाए. दूसरी बड़ी वजह इकोनॉमी में तेज गिरावट है. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट ने भी रिजर्व बैंक का काम आसान बना दिया है. इन हालातों के मद्देनजर लग रहा है कि आरबीआई 6 जून को रेपो रेट में कटौती का ऐलान कर सकता है. लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इसमें कितनी कटौती होती है. 25 या 35 बेसिस प्वाइंट या फिर 50 बेसिस प्वाइंट.
ये भी पढ़ें : उबर और ओला : काम ज्यादा,पैसा कम और सुविधाएं नदारद
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)