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एक दशक पहले जब राहुल बजाज ने अपने समूह का बंटवारा किया था तो बड़े भाई राजीव बजाज को ऑटो बिजनेस मिला था और छोटे संजीव बजाज को फाइनेंशियल सर्विसेज को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी मिली थी. आज दोनों भाइयों का कारोबार काफी बढ़ गया है लेकिन इस दौड़ में छोटे ने बड़े भाई को पीछे छोड़ दिया है.
बंटवारे के वक्त राजीव बजाज की कंपनी बजाज ऑटो लिमिटेड की कमाई संजीव बजाज की कंपनी बजाज फिनसर्व लिमिटेड और बजाज फाइनेंस लिमिटेड से नौ गुना थी लेकिन आज यह उनसे साइज में दो तिहाई रह गई है. बजाज ऑटो की कीमत बजाज फिनसर्व और बजाज फाइनेंस की कीमत से आधी है.
राजीव बजाज मैकेनिकल इंजीनियर हैं. उनकी कंपनी बजाज ऑटो दोपहिया बनाने वाली देश की दूसरी बड़ी कंपनी है. आज यह कंपनी एक दशक पहले की तुलना में दोगुना मोटरसाइकिलें बेचती हैं. बीएसई में की गई फाइलिंग के मुताबिक कंपनी की मोटरसाइकिल से हुई कमाई पिछले नौ साल में दोगुना हो गई. मार्च 2017 के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी की वार्षिक विकास दर 12.6 फीसदी रही और यह 8,446 करोड़ की कंपनी से 21,767 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई है. मुनाफा 28.8 फीसदी बढ़ा और यह 4,079 पर पहुंच गया. जबकि कंपनी दस गुना बढ़ कर 94,500 करोड़ रुपये की हो गई.
बजाज फिनसर्व के सीईओ संजीव बजाज भी मैकेनिकल इंजीनियर हैं और उनकी दोनों कंपनियों की वैल्यू 1.8 लाख करोड़ रुपये की है. यह बजाज ऑटी की वैल्यू से दोगुना है. बजाज फिनसर्व. वार्षिक वृद्धि दर 68.1 फीसदी है. मार्च, 2009 को खत्म हुए वर्ष के बाद इसकी वृदधि दर 42.1 फीसदी रही है. नौ साल में बजाज फिनसर्व का रेवेन्यू 385 करोड़ रुपये से बढ़ कर 24,522 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. मुनाफा 71 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2,2262 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. मार्च, 2017 तक मुनाफा 34 करोड़ रुपये से बढ़ कर 1,836 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
दरअसल भारतीय बाजार के नए दौर में पहुंचने से बजाज ऑटो और बजाज फाइनेंस दोनों को फायदा हुआ. लेकिन संजीव का कारोबार ज्यादा चमका. इसे ही कहते हैं बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह.
इनपुट ब्लूमबर्ग क्विंट
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