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टाटा ग्रुप संकट में फंसी जेट एयरवेज को खरीदने की कोशिश एक बार तेज कर सकता है. अगर जेट एयरवेज को कर्ज देने वालों का कंसोर्टियम इसके लिए खरीदार ढूंढने में नाकाम रहता है और इसे दिवालिया कोर्ट में भेजा जाता है तो टाटा ग्रुप इसके लिए फिर दांव लगा सकता है.
मिंट की एक खबर के मुताबिक पिछले साल टाटा ग्रुप ने जेट एयरवेज को खरीदने की कोशिश की थी. लेकिन उस वक्त नरेश गोयल इसके बोर्ड से हटने को तैयार नहीं थे. टाटा के ऑफर को नकारते हुए नरेश गोयल उस वक्त अपने पार्टनर एतिहाद और अधिक पैसा डालने के लिए बातचीत करने लगे थे. हालांकि एतिहाद इसके लिए राजी नहीं हुई थी.
एतिहाद एयरवेज, नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, टीपीजी कैपिटल और इंडिगो पार्टनर जेट को कर्ज देने वालों कंसोर्टियम से इसमें कटौती करने के लिए कह सकता है. लगभग दस हजार करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली न होने से कर्जदाता इसे दिवालिया कोर्ट में ले जा सकते हैं. टाटा ग्रुप को लगता है कि सभी थर्ड पार्टी के साथ जेट के कांट्रेक्ट की ओवरहॉलिंग होनी चाहिए. इससे एयरवेज का घाटा कम हो सकता है. इसके फाइनेंशियल परफॉरमेंस में और सुधार हो सकता है.
सूत्रों के मुताबिक पिछली बार जब टाटा और जेट का सौदा इसलिए टूट गया था कि नरेश गोयल ने शर्त रखी थी कि वह चार साल तक कोई वेंडर कांट्रेक्ट नहीं करेंगे. इसके अलावा वह भविष्य में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का विकल्प सुरक्षित रखेंगे. लेकिन टाटा को यह मंजूर नहीं था.
देखें वीडियो : जेट के अलावा कितनी कंपनियां हुईं बर्बाद: पक्का चिट्ठा
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