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टाटा स्टील की पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई बामनीपाल स्टील लिमिटेड ने दिवाला कानून के तहत समाधान की कार्रवाई में भूषण स्टील लिमिटेड की 72.65 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा कर लिया है. टाटा स्टील लिमिटेड ने कर्ज में फंसी भूषण स्टील लिमिटेड के लिए आयोजित नीलामी में सफल बोली लगाई थी.
भूषण स्टील लिमिटेड कर्ज में डूबी उन 12 कंपनियों में है, जिनके मामले रिजर्व बैंक ने दिवाला शोधन प्रक्रिया के तहत निपटाने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) को भेजे थे. टाटा स्टील ने आज जारी एक बयान में कहा कि उसने भूषण स्टील लिमिटेड के अधिग्रहण की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. कंपनी ने कहा है कि वह भूषण स्टील को परिचालन के लिए उधार देने वाले कर्जदाताओं को 12 महीने की अवधि में 1,200 करोड़ रुपये का भुगतान कर देगी.
कंपनी ने समाधान प्रक्रिया के तहत तय कर्मचारियों के बकायों का भुगतान कर दिया है और भूषण स्टील के वित्तीय कर्जदाताओं (बैंक एवं वित्तीय संस्थानों) को 35,200 करोड़ रुपये के बराबर के भुगतान को समाधान की शर्तों के अनुसार निपटाया जा रहा है. टाटा समूह यह अधिग्रहण बामनीपाल स्टील की ओर से लिए गए 16,500 करोड़ रुपये के ब्रिज लोन (प्रारंभिक आवश्यकताओं के लिए लिए गए कर्ज ) और टाटा स्टील की तरफ से निवेश के जरिये कर रहा है.
भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्वाले भूषण स्टील के कर्जदाताओं को 35,200 करोड़ रुपये मिलेंगे ताकि वे अपने कर्ज का निपटारा कर सकें. हालांकि यह कर्ज 56,000 करोड़ है. भूषण स्टील के प्रमोटर नीरज सिंघल ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय ट्रिब्यूनल में टाटा स्टील के अधिग्रहण का विरोध किया है. ट्रिब्यूनल ने सिंघल की याचिका पर सुनवाई करना मंजूर कर लिया है लेकिन उसने दिवाली प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई. इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी.
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