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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी होने के आसार नहीं दिख रह़े हैं. सरकार इस पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के मूड में नहीं दिखती. आर्थिक मामलों से संबंधित विभाग के सचिव ने कहा है कि अभी पेट्रोल और डीजल के दाम इस स्तर पर नहीं पहुंचे हैं कि एक्साइज ड्यूटी घटाई जाए.
पिछले महीने पेट्रोल और डीजल के दाम 55 महीनों के शिखर पर पहुंच गए. इसके बाद पिछले एक सप्ताह से तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं. आर्थिक मामलों से जुड़े विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि अगर रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी हुई तो सरकार के राजकोषीय प्रबंधन पर दबाव बढ़ सकता है क्योंकि सरकार इस पर सब्सिडी देती है. सरकार सिर्फ रसोई गैस सिलेंडरों पर ही सब्सिडी दे रही है. दूसरी सारी सीधी सब्सिडी खत्म कर दी गई है. अगर सरकार प्रति लीटर पेट्रोल डीजल पर एक रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाती है तो उसे 13000 करोड़ रुपये के घाटा होगा.
गर्ग से पूछा गया कि क्या सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती करने की सोच रही है या फिर कर्नाटक केंद्र सरकार एक लीटर पेट्रोल पर 15.48 रुपये लेवी लगाती है और डीजल पर 9.48 रुपये.
सरकार को उम्मीद है कि जियोपॉलिटिकल तनाव कम होने और यूएस शेल ऑयल की सप्लाई में बढ़ोतरी के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में कमी आ सकती है. सरकारी तेल कंपनियां पिछले साल जुलाई से हर दिन तेल की कीमतों को हर दिन रिवाइज करती रही है लेकिन पिछले छह दिनों इसमें कोई बदलाव नहीं किया है. दिल्ली में पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 74.63 रुपये पहुंच गई है. जबकि डीजल प्रति लीटर 65.93 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. चुनाव के बाद इस पर फैसला लेगी. इस पर उन्होंने कहा अभी इस बारे में कोई बात नहीं हुई है.
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