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शेयर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट और भारतीय बॉन्ड बाजार में यील्ड 12 महीने की ऊंचाई पर
... अभी कुछ दिनों तक आपका इस हेडलाइन से वास्ता पड़ता रहेगा. लेकिन ये बॉन्ड और शेयर बाजार के बीच क्या रिश्ता है ये समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है.
बॉन्ड यील्ड बढ़ने की वजह से शेयर बाजार क्यों गिर रहा है. ये बॉन्ड और यील्ड जेम्स बॉन्ड की तरह जासूस या रहस्यमय नहीं है. ये जान लीजिए और हमेशा के लिए बॉन्ड यील्ड की पहेली का राज जान लीजिए.
खबर ये है कि भारत में बॉन्ड यील्ड यानी बॉन्ड पर ब्याज 12 महीने के रिकॉर्ड 7.55 परसेंट के आसपास है. अमेरिका में भी यही हालत है वहां 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 2.8 परसेंट तक पहुंच गई है जो अप्रैल 2014 के बाद हुआ है यानी 4 साल का शिखर.
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1. सरकार ने बजट में आमदनी से ज्यादा खर्च ज्यादा खर्च करने का ऐलान किया है. ऐसे में रकम जुटाने के लिए सरकार को 6 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज लेना होगा. सरकार जब कर्ज लेती है तो रकम का बड़ा हिस्सा बॉन्ड जारी करके जुटाया जाता है.
2. भारत में महंगाई दर बढ़ने की आशंका है, ऐसे में हालात ऐसे बन रहे हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ा सकता है. अमेरिका में भी कुछ ऐसा ही अंदेशा है.
3. यूरोपीय और अमेरिकी सेंट्रल बैंकों जो राहत पैकेज दिया था वो अब कम करना शुरू कर दिया है. अमेरिकी में कोई एक्शन का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है. वहां भी सरकार ने भारी टैक्स कटौती करके आमदनी कम कर ली है यानी इससे वित्तीय घाटा बढ़ेगा. ऐसे में अमेरिका प्रशासन बॉन्ड से कर्ज जुटाएगा. इससे बॉन्ड यील्ड भी बढ़ेगी. इसलिए वहां भी बॉन्ड यील्ड 4 साल के रिकॉर्ड पर है.
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बॉन्ड यील्ड को समझने के लिए 5 बड़ी बातें:
इसका मतलब यही है कि बॉन्ड पर रिटर्न या कमाई. अगर 10 साल के बॉन्ड की यील्ड 7 परसेंट है तो शेयर बाजार में निवेशक तभी पैसे लगाएंगे जब वो इससे ज्यादा रिटर्न दे. बॉन्ड को सुरक्षित निवेश माना जाता है. जबकि शेयर बाजार में जोखिम ज्यादा होता है. इसलिए कोई निवेशक ज्यादा जोखिम वाली जगह पर पैसा तभी लगाएगा जब उसमें कमाई ज्यादा होगी.
जैसे अगर बॉन्ड यील्ड 7 परसेंट है और तो शेयर बाजार में रिटर्न की गुंजाइश इससे 5 परसेंट तक ज्यादा होनी चाहिए. ये एक्स्ट्रा 5 परसेंट शेयर बाजार में जोखिम के लिए है. मतलब हुआ कि शेयर बाजार में निवेश तभी फायदेमंद है जब कम से कम 12 परसेंट रिटर्न मिले.
अगर रिटर्न 12 परसेंट से कम होने रहने के आसार होंगे तो कोई शेयर में कोई पैसा लगाने का जोखिम क्यों लेगा? इसलिए जैसे जैसे बॉन्ड यील्ड बढ़ेगी शेयरों की लागत भी बढ़ेगी इससे कमाई कम होगी. ऐसे में निवेशक शेयर बाजार से रकम निकालकर बॉन्ड में लगाएंगे और बाजार गिरेंगे.
जब बॉन्ड यील्ड बढ़े तो समझ लीजिए कि शेयर बाजार में गिरावट का खतरा है. ऐसे में बड़े निवेशक जैसे बैंक, विदेशी निवेशक शेयर बाजार से पैसे निकालकर बॉन्ड में पैसा लगाने लगते हैं. इससे बॉन्ड यील्ड तो बढ़ता है लेकिन शेयर बाजार बिकवाली की वजह से गिरता है.
बॉन्ड यील्ड में जोखिम कम होता है इसलिए इसमें रिटर्न भी कम होता है. लेकिन जब बॉन्ड यील्ड बढ़ता है तो उसकी लागत भी बढ़ जाती है. मतलब ब्याज ज्यादा होने पर खतरा बढ़ेगा. अगर बॉन्ड यील्ड घटती है तो उसका मतलब है ब्याज दरें घटने की ओर हैं. इसलिए ध्यान दीजिए जब कभी रिजर्व बैंक रेट घटाता है तो शेयर बाजार खुश होता है क्योंकि बॉन्ड यील्ड घटती है.
बॉन्ड यील्ड बढ़ने का एक ये भी संकेत है कि ब्याज दरें बढ़ने के आसार नजर आने लगते हैं. इस वक्त सारे संकेत बता रहे हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ा सकता है. महंगाई दर ऊंचे स्तर पर है. सरकार आमदनी से ज्यादा खर्च करेगी मतलब ज्यादा उधार लेगी. इससे बॉन्ड यील्ड बढ़ेगी और शेयर बाजार में कमाई घटेगी.
इससे कॉरपोरेट परेशान हो जाते हैं क्योंकि उनके लिए कर्ज महंगा हो जाता है. कर्ज के लिए ज्यादा ब्याज देना होगा. ऐसे होने पर कंपनी की कमाई घटेगी उसके डिफॉल्ट का और दिवालिया होने का खतरा बढ़ता है. खास तौर पर मिडकैप और बहुत ज्यादा कर्ज वाली कंपनियों पर इसका खतरा बहुत बढ़ जाता है.
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