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नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) ने गुरुवार की शाम जिस जेट एयरवेज के खिलाफ दिवालिया याचिका को मंजूर कर लिया, उसी जेट के शेयर गुरुवार की सुबह से दोपहर तक आसमान की ऊंचाइयों को छूते रहे. एक ऐसी एयरलाइंस कंपनी जिसकी सर्विसेज पूरी तरह से ठप पड़ी हैं, जिस पर हजारों करोड़ों रुपये का बकाया है, जिसमें कोई निवेश करने को तैयार नहीं, उसके शेयर में गुरुवार को गजब की तेजी देखने को मिली.
20 जून 2019 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में जेट एयरवेज का शेयर 90 फीसदी (29.75 प्वाइंट) उछाल के साथ 62.85 पर बंद हुआ. एक दिन पहले ये शेयर 33.10 पर बंद हुआ था. गुरुवार को एक समय ऐसा आ गया जब शेयर 82.75 तक पहुंच गया यानी कि 150% की बढ़त.
जेट का शेयर गुरुवार को 11 फीसदी गिरावट के साथ 29.95 पर खुला. करीब 11 बजे तक शेयर में कुछ खास मूवमेंट नहीं देखा गया. लेकिन इसके बाद थोड़ा उछाल देखा गया. 11:45 बजे तक शेयर 44 तक पहुंच गया. 3:20 बजे तक थोड़ा और उछलकर 48 रुपये तक आ गया. लेकिन इसके बाद ऐसा उछाल आया, जिसकी कल्पना किसी को नहीं थी. अगले चार मिनट में, 3:24 बजे शेयर की कीमत 74 और फिर 82 रुपये तक पहुंच गई. अगले छह मिनट तक शेयर इस दौर में रहा. फिर जिस तेजी के साथ ऊपर गया, उसी तेजी के साथ नीचे भी गिर पड़ा. 3:32 पर शेयर 62.85 पर आ गया और इसी पर बंद भी हो गया.
गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में जेट एयरवेज के शेयर का वोल्यूम 969,39,750 और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में वोल्यूम 121,30,065 रहा.
एक पूरी तरह से ठप पड़ी कंपनी के शेयर में अचानक इतनी बढ़ी उछाल वाकई में चौंका देती है. मार्केट विशेषज्ञ इसकी अलग-अलग वजह बता रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ी वजह शॉर्ट कवरिंग बताई जा रही है. क्विंट से बातचीत में बाजार के जानकारों ने बताया कि दरअसल सप्लाई 3% की ही हुई. यानी असल खरीदार सिर्फ 3% ही थे, बाकी मुनाफावसूली की फिराक में थे.
पिछले कुछ दिनों से जेट एयरवेज के शेयर में लगातार गिरावट देखी जा रही है. एक शेयर जिसकी कीमत एक महीने पहले 150 के पार थी, एक साल पहले 390 के ऊपर थी, वही अब गिरकर 50 के नीचे आ गया है. गुरुवार को निवेशकों ने छोटा मुनाफा कमाकर निकलने की उम्मीद के साथ पैसा लगा दिया. लेकिन ये शेयर सभी की उम्मीद से परे अचानक आसमान छू गया. तभी निवेशकों ने बिना देरी करे, तुरंत बेच दिया. यानी कि निवेशकों ने बहती गंगा में हाथ धो लिए. यानी जेट की एक दिन की ऊंचाई को इसका सुधार मानना ठीक नहीं.
नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) ने गुरुवार को एसबीआई की ओर से दाखिल जेट एयरवेज के खिलाफ दिवाला याचिका को मंजूर कर लिया है. इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड की धारा सात के तहत मामले की अगली सुनवाई पांच जुलाई को होगी. बैंकों को ठप पड़ी एयरलाइन से 8,500 करोड़ रुपये की वसूली करनी है.
बैंकों के अलावा एयरलाइन पर उसे माल और सेवाएं देने वालों का 10,000 करोड़ रुपये और कर्मचारियों के वेतन का 3,000 करोड़ रुपये का बकाया है. जेट एयरवेज के कर्मचारियों की संख्या 23,000 है.
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