Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 IT फाॅर्म अब बस एक पन्ने का,भरते समय इन बातों का रखें खास ख्याल

IT फाॅर्म अब बस एक पन्ने का,भरते समय इन बातों का रखें खास ख्याल

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज यानी सीबीडीटी ने आज एसेसमेंट ईयर 2017-18 के लिए रिटर्न फॉर्म जारी कर दिए हैं.

द क्विंट
बिजनेस
Updated:


टैक्स सेविंग्स और प्लानिंग ये जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों पर टैक्स एक्सपर्ट शरद कोहली से बातचीत. (फोटो: द क्विंट)
i
टैक्स सेविंग्स और प्लानिंग ये जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों पर टैक्स एक्सपर्ट शरद कोहली से बातचीत. (फोटो: द क्विंट)
null

advertisement

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज यानी सीबीडीटी ने आज एसेसमेंट ईयर 2017-18 के लिए रिटर्न फॉर्म जारी कर दिए हैं. वैसे तो इस बार कई बदलाव किए गए हैं, लेकिन सबसे बड़ा बदलाव ये है कि अब फॉर्म ITR-1, जिसे सहज भी कहा जाता है, तीन पेज के बजाए एक पेज का हो गया है.

ये फॉर्म वो टैक्सपेयर्स भर सकेंगे, जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपए तक है. उनकी आय के स्रोत हो सकते हैं सैलरी या पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी से किराये की आय या दूसरे सोर्स- मसलन बैंक खाते या किसी सेविंग्स स्कीम से मिला ब्याज. और, सबसे ज्यादा लोग इसी कैटेगरी में आएंगे, इसलिए हम आपके सामने वो सारी खास बातें ला रहे हैं, जो आयकर रिटर्न भरते वक्त आपको ध्यान में रखनी होंगी.

  • पहली महत्वपूर्ण चीज, जिसे आप ध्यान में रखें, वो है कि अब आपको अपना आधार नंबर रिटर्न फॉर्म में देना होगा. और, अगर आपको आधार नंबर अब तक नहीं मिला है तो अपना आधार एनरॉलमेंट नंबर दीजिए. ये जानकारी आपको रिटर्न फॉर्म के पार्ट A में देनी है.
  • अब आते हैं पार्ट B पर. यहां आपको बताना है सैलरी या पेंशन से अपनी आय, हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आय या घाटा. ये भी बताना है कि जिस हाउस प्रॉपर्टी का जिक्र किया गया है, उसमें आप खुद रहते हैं या उसे किराये पर दिया है. इसके बाद अन्य स्रोत से आय का जिक्र करना है.
  • पार्ट C में आपको उन डिडक्शंस की जानकारी देनी है जो आप क्लेम करने जा रहे हैं. सेक्शन 80 सी, 80 डी, 80 जी वगैरह में किए गए निवेश की जानकारी.
  • पार्ट D में इसके बाद आपके टैक्स की गणना आ जाएगी. यहां आपको पता चल जाएगा कि टैक्स बकाया है या कुछ रिफंड मिलने की संभावना है. यहां आपको एक्जेंप्ट इनकम के कॉलम में उस आय की जानकारी देनी है, जो आपको डिविडेंड या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से हुई हो. एक्जेंप्ट इनकम पर टैक्स नहीं लगता है लेकिन आयकर विभाग आपसे ऐसी कमाई की जानकारी चाहता है.
  • पार्ट E में आपको अपने बैंक खातों की जानकारी देनी है. यहां एक बदलाव ये किया गया है कि इस बार आपको ये भी बताना है कि आपने 9 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान अपने बैंक खातों में कितना कैश डिपॉजिट किया है. हालांकि ये डिपॉजिट 2 लाख से ज्यादा होना चाहिए.
  • इसके बाद दो शेड्यूल हैं, जिनमें शेड्यूल IT में एडवांस टैक्स और सेल्फ-एसेसमेंट टैक्स के डिटेल्स देने हैं. शेड्यूल TDS में फॉर्म 16 या 16A में दी गई जानकारी के मुताबिक TDS या TCS के डिटेल्स देने होंगे. बस, आपका रिटर्न फॉर्म इनकम टैक्स विभाग को भेजे जाने के लिए तैयार हो गया है. ITR-1 को अब आप वाकई सहज मान सकते हैं क्योंकि इनकम टैक्स विभाग ने इसे काफी यूजर-फ्रेंडली बना दिया है.

ITR-1 को आसान बनाने के अलावा इस बार टैक्स विभाग ने ITR फॉर्म्स की संख्या भी कम कर दी है. अब 9 की जगह 7 रिटर्न फॉर्म रह गए हैं. मौजूदा ITR-2, ITR-2A और ITR-3 को मिलाकर एक अकेला ITR-2 फॉर्म लाया गया है. साथ ही, अब ITR-4 को ITR-3 कहा जाएगा, और ITR-4S फॉर्म को ITR-4 कहा जाएगा. हालांकि ITR-4S का सुगम नाम ITR-4 के लिए जारी रहेगा.

1 अप्रैल यानी की नए फाइनेंशियल इयर की शुरुआत के साथ ही टैक्स के कई नियमों में बदलाव हो रहे हैं, इससे आपके घरेलू बजट पर क्या असर होगा? टैक्स सेविंग्स और प्लानिंग ये जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों पर टैक्स एक्सपर्ट शरद कोहली से बातचीत देखें.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 31 Mar 2017,07:10 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT