advertisement
गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुए संघर्ष में जब हमारे 20 जवान शहीद हुए. तब देश में चीन विरोध की आंधी आ गई थी, हर तरफ से चीन और चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की बातें होने लगी थी. फिर “आत्मनिर्भरत भारत” की भी मुहिम चली. लेकिन चीन विरोध का नतीजा कुछ और ही निकला. आज चीन फिर से भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बन गया है.
सीमा विवाद की कड़वाहट के बावजूद भी चीन कर रहा है भारत में वापसी.
2018 के बाद फिर से भारत का टॉप ट्रेड पार्टनर बना चीन.
2019 में चीन को पछाड़कर आगे हुआ था अमेरिका.
2020 में चीन फिर बना बादशाह.
तीसरे स्थान पर बना हुआ है यूएई.
कॉमर्स मंत्रालय, भारत सरकार के प्रोविजनल आंकड़े बताते हैं कि चीन एक बार फिर भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बन गया. आंकड़ों की माने तो पिछले साल यानी 2020 में भारत और चीन के बीच 77.7 बिलियन डॉलर का दोपक्षीय (Two Way) व्यापार हुआ है. हालांकि यह पिछले चार वर्षों का सबसे कम है, लेकिन बादशाहत चीन ने ही बनाई है. पिछले साल अमेरिका इस मामले में टॉप पर था. भारत और अमेरिका के बीच 2019 में 90.1 बिलियन डॉलर का ट्रेड हुआ था. 2017, 18, 19 और 20 तक की बात करें तो इन चार वर्षों में तीन बार भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर चीन रहा है.
चीन के सैकड़ों एप्स पर बैन लगाया गया. लेकिन हैवी मशीन खरीदने के लिए हम चीन पर ही निर्भर रहे.
51 फीसदी हैवी मशीनरी चीन से इम्पोर्ट करता है भारत
अमेरिका को पछाड़कर यूरोपियन यूनियन का भी सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर चीन बन गया है.
2020 में चीन और यूरोपियन यूनियन के बीच 710 बिलियन यूएस डॉलर का गुड्स ट्रेड हुआ है.
2020 में जर्मनी का भी सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर (258 बिलियन US डॉलर) चीन है. इतना ही नहीं पिछले पांच वर्षों से चीन जर्मनी का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बना हुआ है
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)