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भारत बन सकता है ऐप का ‘उस्ताद’, बस खत्म हो कानूनी जंजाल

59 चाइनीज ऐप पर बैन, भारतीय टेक कंपनियों, खासकर युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए बड़ा अवसर है.

संजय पुगलिया
बिजनेस
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हम भी बन सकते हैं ऐप के ‘उस्ताद’, बस खत्म हो कानूनी जंजाल
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हम भी बन सकते हैं ऐप के ‘उस्ताद’, बस खत्म हो कानूनी जंजाल
(फोटो: कनिष्क दांगी/ क्विंट हिंदी)

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59 चाइनीज ऐप पर बैन, भारतीय टेक कंपनियों, खासकर युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए बड़ा अवसर है. यहां टैलेंट भी है और पूंजी की भी कमी नहीं लेकिन शर्त ये है कि सरकार कानूनी पचड़ों से बचाए, ये कहना है कि निवेश और टेक्नोलॉजी क्षेत्र के जानकार आयरनपिलर फंड के मैनेजिंग पार्टनर आनंद प्रसन्ना का. आनंद से बात की द क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने.

क्या बैन किए गए ऐप्स के विकल्प भारत में मौजूद हैं?

इस सवाल पर आनंद ने कहा कि जो ऐप बैन किए गए हैं, वैसे बहुत सारे भारतीय ऐप्स हैं. कई तो काफी अच्छे हैं. तो ये चाइनीज ऐप्स पर बैन ऐसी कंपनियों के लिए फंडिंग जुटाने का मौका है और निवेशक पैसा लगाने को भी तैयार हैं. भारतीय युवा जो ऐप बना रहे हैं उनके लिए अच्छी खबर है, हमारे देश की सुरक्षा के लिए अच्छी खबर है. लेकिन ये एक चुनौती भी है क्योंकि हमें हार्डवेयर की जरूरत है, हमें सॉफ्टवेयर की जरूरत है अगर हम इसे नहीं बना पाए तो मुश्किल होगी लेकिन अगर बना लिया तो पूरी दुनिया को दे भी पाएंगे.

भारतीय स्टार्टअप्स के सामने क्या चुनौतियां?

आनंद के मुताबिक भारतीय ऐप्स बना सकते हैं. उन्हें देश और विदेश से पूंजी भी मिल सकती है. लेकिन हमारे नियम कानून अमेरिका और चीन जैसे आसान नहीं है. ऐसे में सरकार से यही उम्मीद रहेगी कि जिन देशों में बड़ी टेक कंपनियां हैं उनके नियम कायदों को देखे और यहां लागू करे ताकि यहां के स्टार्टअप भी कुछ बड़ा कर सकें.

इसमें टैक्स से जुड़े नियम कायदों में सबसे बड़ा सुधार करने की जरूरत है. टैक्स नियमों को लेकर सफाई की कमी है. ये जरूर है कि नए उद्यमियों के लिए पूंजी जुटाना मुश्किल है, खासकर कोरोना लॉकडाउन के समय. सरकार लोन दे रही है लेकिन उसके बजाय नियम कायदे सरल कर दे तो दुनिया भर से पैसे आ सकते हैं.

अभी तो यहां ये हालत है कि अगर आप कामयाब हुए तो भी आपको टैक्स देना है. अगर कोई आईआईटी से निकला स्टूडेंट गूगल और फेसबुक में नौकरी करने के बजाय स्टार्टअप खड़ा करता है और वो फेल हो जाता है तो उसका सपोर्ट करना चाहिए, उसपर लांछन नहीं लगाना चाहिए.
आनंद प्रसन्ना, मैनेजिंग पार्टनर, आयरनपिलर फंड

अमेरिकी कंपनियों से कितनी चुनौतियां

चुनौतियां हैं लेकिन अमेरिकी कंपनियां भारतीयों के साथ काम करना चाहती हैं. जैसे फेसबुक ने जियो में निवेश किया. अमेरिकी कंपनियां हमें टेक्नोलॉजी और पैसा दोनों देने को तैयार हैं. वो डेटा पर कंट्रोल भी नहीं चाहती हैं, उनकी मंशा सही लगती है.

हमने भले ही चाइनीज ऐप को बैन किया है लेकिन बहुत सारा डेटा चीन के पास है लेकिन हम उसके बारे में कुछ नहीं कर सकते, यही सच्चाई है.
आनंद प्रसन्ना, मैनेजिंग पार्टनर, आयरनपिलर फंड

भारतीय 'अलीबाबा' कब?

भारत में 38 कंपनियां 1 बिलियन मूल्य की हैं. इनमें से बहुत सारी कंपनियों ने भारी भरकम पूंजी भी जुटाई है. लेकिन समस्या ये है कि अभी प्रतियोगिता बहुत ज्यादा है. अमेरिकी कंपनियां हैं, चीनी कंपनियां हैं. हमें सोचना होगा कि हम विदेशी कंपनियों को बैन करें या उन्हें भारतीय कंपनियों के साथ काम करने के लिए प्रेरित करें.एप्लिकेशन अंग्रेजी, हिंदी, बंगला, गुजराती, मराठी, कन्नड़, पंजाबी, मलयालम, तमिल और तेलुगु लेंग्वेज में मौजूद है.

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