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इस गर्मी के सीजन में महंगाई की मार झेलने के लिए तैयार हो जाएं. रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे साबुन, आइसक्रीम और बिस्किट की कीमतें बढ़ सकती हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके पीछे कंपनियां लागत मूल्य अधिक होने का तर्क दे रही हैं.
एफएमसीजी की बड़ी कंपनियां जैसे ब्रिटानिया, पारले, अमूल और डाबर अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने या पैकेज में मात्रा घटाने का फैसला ले चुकी हैं. दाम बढ़ने के कारणों में कंपनियां वैश्विक स्तर पर कच्चे माल की कीमतों में इजाफे को बताती हैं.
पिछले साल हुई नोटबंदी भी कीमतों में इजाफे के कारणों में गिनाया जा रहा हैं. 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद से लोगों ने अपने रोजाना इस्तेमाल करने वाली चीजों में कटौती की है. उपभोक्ताओं की मांग में इस कमी से अभी तक इंडस्ट्री उबर नहीं पाई है. घाटे से उबरने के लिए कंपनियां अब उत्पादों के दाम में इजाफा कर या पैकेजिंग में उत्पाद की मात्रा कम करने जैसी तकनीक अपना रहीं हैं.
ब्रिटानिया पहले ही घोषणा कर चुका है कि बिस्किट की कीमत 7 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है. इसके अलावा आइसक्रीम बनाने वाली कंपनियों ने भी दाम बढ़ाने की बात कही है.
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