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सातवें आयोग की सिफारिशें लागू होने से सरकारी कर्मचारियों की कमाई बढ़ने के बाद इनकम टैक्स छूट का दायरा बढ़ाने की मांग तेज होने लगी है. देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक एसबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया गया है इनकम टैक्स छूट की सीमा और 50 हजार रुपये बढ़ा कर 3 लाख रुपये कर देनी चाहिए.
एसबीआई ने अपनी इकोरैप रिपोर्ट में कहा है कि अगर हाउसिंग लोन के तहत इंटरेस्ट पेमेंट की छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये तक बढ़ा दी जाए तो इससे होम लोन लेने वाले 75 लाख लोगों को फायदा होगा. इस वक्त होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट दो लाख रुपये है. अगर टैक्स छूट सीमा बढ़ी तो सरकार पर 7,500 करोड़ का बोझ पड़ेगा.1990-91 में टैक्स स्लैब 22,000 रुपये थे जो 2014-15 में बढ़ कर 2.5 लाख रुपये थे. यानी 2.5 लाख रुपये की तक की आय टैक्स छूट के दायरे में है.
एसबीआई की रिपोर्ट में बैंकों के टर्म डिपोजिट के बयान पर टीडीएस छूट सीमा मौजूदा 10,000 रुपये से आगे बढ़ाने का सुझाव दिया गया है. साथ ही टर्म डिपोजिट की अवधि 5 साल से घटा कर 3 साल करने को कहा गया है.
इकोरैप में कहा गया है कि बजट में एग्रीकल्चर, एमएसएमई, इन्फ्रास्ट्रक्चर और अफोर्डेबल हाउसिंग को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. कृषि में सुधारों की चर्चा करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र को मध्य प्रदेश की भावांतर योजना को अपनाना चाहिए.
इन सुधारों का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि अगर सरकार ए2 दूध मिड डे मील में दे तो इससे किसानों कीआय का रास्ता खुल सकता है. बच्चो को दूध देने से एक करोड़ 60 लाख किसानों के लिए आय की राह खुलेगी.
इको रैप रिपोर्ट में औपचारिक सेक्टर के लिए हर महीने पे रोल रिपोर्ट पब्लिश करने का सुझाव दिया गया है.क्योंकि इस सेक्टर में रोजगार सृजन को अंडर रिपोर्टिंग की समस्या से जूझना पड़ता है.
इनपुटः पीटीआई
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