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मोदी सरकार ने इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड में संशोधन को मंजूरी दे दी है. अब किसी रियल्टी कंपनी के डूबने पर उसकी नीलामी में उस कंपनी के घर खरीदारों को हिस्सा मिलेगा. कैबिनेट के इस फैसले से उन फ्लैट खरीदारों को भारी राहत मिलेगा, जिनका रियल्टी कंपनियों के प्रोजेक्ट में पैसा फंसा है.
14 सदस्यीय इनसॉल्वेंसी लॉ कमेटी ने फ्लैट खरीदार की दिक्कतों को दूर करन के लिए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को उपाय सुझाए थे. कमेटी ने संभावित बोली लगाने वालों के पूल को बड़ा करने, कर्जदाताओं के लिए रिकवरी आसान बनाने और लेनदारों की ओर से फैसला करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के भी उपाय सुझाए थे. कमेटी का कहना था कि बिल्डर के दिवालिया होने पर उन घर खरीदारों को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता, जिन्हें कब्जा नहीं मिला है. इस तरह उनके पैसे खत्म हो जाएंगे और उन्हें घर भी नहीं मिलेगा.
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दिवालिया होने पर रियल्टी या बिल्डर कंपनी की संपत्ति बेचने पर जितना पैसा मिलेगा, उसमें कितना फीसदी घर खरीदारों को दिया जाए, यह कई मानकों पर तय किया जा सकता है. सबसे पहले देखना होगा कि बिल्डर पर कितना बकाया है. कितने घर खरीदारों को कब्जा नहीं मिला है. इसके बाद यह तय किया जाए कि सम्पत्ति बेचने के बाद उससे मिला कितना पैसा खरीदारों को दिया जा सकता है. इसके लिए बैंकों और अन्य एक्सपर्ट से बात करके अंतिम फैसला लिया जा सकता है.
दरअसल, रियल्टी कंपनियों को प्रोजेक्ट में बड़ी तादाद में फ्लैट खरीदारों का पैसा फंसा है. कई रियल्टी कंपनियों उनसे पैसा लेकर किसी और प्रोजेक्ट में लगा दिया है.लेकिन उन खरीदारों का फ्लैट बना कर नहीं दिया है. इस बीच कई कंपनियां दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं और खरीदारों का पैसा उनमें फंस चुका है. उन्हें राहत देने के लिए ही बैंकरप्शी कानून में संशोधन किया गया है.
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