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हाउसिंग प्रोजेक्ट को रेरा करे डी-रजिस्टर्ड तो क्या करें घर खरीदार?

यूपी रेरा ने नोएडा में एक हाउसिंग प्रोजेक्ट डी-रजिस्टर्ड किया.देश का पहला मामला,जिसने घर खरीदारों में उम्मीद जगाई है

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रेरा ने वित्तीय अनियमितता से घिरे प्रोजेक्ट को डी-रजिस्टर्ड कर घर खरीदारों में उम्मीद जगाई है
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रेरा ने वित्तीय अनियमितता से घिरे प्रोजेक्ट को डी-रजिस्टर्ड कर घर खरीदारों में उम्मीद जगाई है
(फोटो : रॉयटर्स)

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नोएडा के हाउसिंग प्रोजेक्ट अरण्या को यूपी रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी यानी UP RERA ने प्रोजेक्ट में देरी करने और वित्तीय अनियमितता के आरोप में डी-रजिस्टर्ड कर दिया. यह देश का पहला मामला है जब रेरा ने किसी प्रोजेक्ट को डी-रजिस्टर्ड किया है. अरण्या प्रोजेक्ट उन्नति फॉर्च्यून होल्डिंग लिमिटेड का है और इसकी कीमत 1500 करोड़ रुपये है.

अब सवाल है कि इसके फ्लैट खरीदारों का क्या होगा. उन्हें फ्लैट कैसे मिलेगा. उनके सामने अब क्या विकल्प हैं. आइए देखते हैं कानून क्या कहता है.

घर खरीदार खुद कर सकते हैं प्रोजेक्ट पूरा

रेरा के मुताबिक अथॉरिटी को होम बायर्स को अपने संसाधन से अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने का मौका देना होगा. रेरा के मुताबिक डी-रजिस्ट्रेशन के बाद होमबायर्स को खुद प्रोजेक्ट पूरा करने का मौका देने के अलावा भी कुछ विकल्प हैं. लेकिन घर खरीदारों को पहले खुद इसे पूरा करने का मौका देना होगा. अगर वे अपने पैसे से इसे पूरा करने में सक्षम हैं तो रेरा इसकी निगरानी के लिए एक मैकेनिज्म तय करेगा.

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लेकिन यह इतना आसान काम नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि घर खरीदारों के लिए इतना बड़ा प्रोजेक्ट पूरा करना आसान नहीं होगा. क्योंकि एक तो फंडिंग की दिक्कत और दूसरे इतने सारे खरीदारों के साथ को-ऑर्डिनेट करने का काम. फिर कंस्ट्रक्शन से जुड़ी दिक्कतें अलग हैं.

एक्सपर्ट्स का कहना है सिर्फ इस डोमेन को जानने वाले ही इस तरह रुके हुए प्रोजेक्ट की अंदरूनी जटिलताओं के बारे में जानते हैं. इस लिहाज से फ्लैट खरीदारों के लिए खुद अपना प्रोजेक्ट पूरा करना बेहद मुश्किल काम है. घर खरीदारों की ओर से खुद प्रोजेक्ट पूरा करने का फैसला इस पर निर्भर करता है कि प्रोजेक्ट किस हालत में हैं.

खुद प्रोजेक्ट पूरा करने का फैसला तभी लेना चाहिए जब इसका 85 से 90 फीसदी पूरा हो चुका हो. प्रोजेक्ट के फाइनेंशियल हेल्थ के बारे में भी पता करना चाहिए. अमूमन होता ये है कि प्रोजेक्ट फंड की कमी से ही रुकते हैं. सिर्फ छोटे प्रोजेक्ट यानी 200 यूनिट वाले प्रोजेक्ट को ही खुद पूरा करने का फैसला करना चाहिए. कोई भी विवादित प्रोजेक्ट अगर अधूरा छूटा हो तो उसे खुद पूरा करने का फैसला करने से बचना चाहिए.

रेरा अथॉरिटी की जिम्मेदारी

अगर घर खरीदार बचे हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं तो इसे पूरा करने की पूरी जिम्मेदारी अथॉरिटी (रेरा) पर होती है. अलग-अलग राज्यों के घर खरीदारों को उम्मीद है कि वहां भी संबंधित रेरा अथॉरिटी ऐसा फैसला करेगा.अरण्या के मामले में यूपी रेरा ने कहा है कि वह घर खरीदारों की सहायता करने के लिए तैयार है. रेरा अधिकारियों का कहना है कि चाहे घर खरीदार खुद अपना प्रोजेक्ट तैयार करे या फिर हमारी मदद लें, कानून में इसका मैकेनिज्म है. और हम इसके लिए तैयार हैं.

चूंकि रेरा की ओर से अरण्या प्रोजेक्ट को डी-रजिस्टर्ड करना देश का पहला मामला है. इसलिए रियल एस्टेट हलकों में इस मामले पर नजर रखेगी. क्या घर खरीदार खुद यह प्रोजेक्ट पूरा करेंगे या फिर रेरा मदद के लिए आगे आएगा. लेकिन यूपी रेरा ने अरण्या जैसे वित्तीय अनियमितता और देरी में फंसे प्रोजेक्ट को डी-रजिस्टर्ड कर घर खरीदारों के बीच उम्मीद जगाई है.

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