advertisement
कोरोनावायरस की मार पूरी ग्लोबल इकनॉमी पर पड़ी है. इस संकट ने दुनिया भर में कई उद्योगों के बड़ी मुसीबत पैदा कर दी है. एयरलाइंस,क्रूड, टूर-ट्रैवल, हॉस्पेटिलिटी से लेकर रियल एस्टेट बिजनेस के लिए यह आफत बन चुका है तो इसने कुछ चीजों का बिजनेस बिल्कुल चमका भी दिया है. कोविड-19 मास्क, सैनिटाइजर, वेंटिलेटर, ब्लीच, टेस्ट किट से लेकर एयर प्यूरीफायर तक की मांग आसमान पर पहुंच चुकी है.
वर्क फ्रॉम होम ने जूम जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप का डाउनलोड कई गुना बढ़ा दिया है. अब करीब-करीब पूरी दुनिया इस पर काम कर रही है. आइए जानते हैं कोरोनावायरस ने किन प्रोडक्ट्स और कारोबार को कई गुना बढ़ा दिया है.
कोरोनावायरस के हमले के साथ ही मास्क की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई. भारतीय शहरों में मास्क की बिक्री जबरदस्त एयर पॉल्यूशन में भी खास नहीं बढ़ती है. लेकिन कोरोना वायरस संकट से यहां फेस मास्क की बिक्री बेतहाशा बढ़ गई है, नैनोक्लीन ग्लोबल के सीईओ और एमडी प्रतीक शर्मा के मुताबिक उनकी कंपनी रोजाना 1 लाख फेस मास्क सप्लाई कर रही है. सरकार को इसकी बढ़ती मांग देख कर एक्सपोर्ट बैन करना पड़ा है.
मास्क की तरह ही सैनिटाइजर्स की मांग भी जबरदस्त बढ़ गई है. देखते-देखते बाजार से सैनिटाइजर गायब हो गए. पचास मिलीलीटर के सैनिटाइजर की कीमत 100 रुपये से ज्यादा हो गई. संकट बढ़ता देख कुछ एफएमसीजी कंपनियों ने इनके दाम घटा दिए. हालांकि मांग बढ़ती गई और आखिरकार सरकार को 45 डिस्टलरीज और 564 मैन्यूफैक्चरर्स को सैनिटाइजर्स प्रोडक्शन की अनुमति देनी पड़ी, इनमें चीनी मिलें भी शामिल हैं.
वर्क फ्रॉम होम न जूम कॉन्फ्रेंसिंग ऐप को भी चमका दिया. अब यह भारत में सबसे ज्यादा डाउनलोडेड ऐप बन चुका है. गूगल प्ले स्टोर के मुताबिक यह एंड्रॉयड ऐप डाउनलोडिंग के मामले में वॉट्सऐप, टिकटॉक और इंस्टाग्राम भी आगे निकल चुका है. आज की तारीख में लगभग पूरी कामकाजी दुनिया इस पर आ चुकी है. सिलिकन वैली की एक स्टार्ट-अप कंपनी का बनाया यह ऐप कमाल कर रहा है.
थर्मल स्कैनिंग कंपनियों की भी पौ-बारह है. बड़ी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां दावा कर रही हैं कि वे Augmented reality glasses को थर्मल इमेजिंग में फिट कर थर्मल स्कैनिंग प्रोसेस को और स्मूद बना देंगी. थर्ड आई नाम की एक थर्मल इमेजिंग कंपनी ने कहा कि कोरोनावायरस फैलने के बाद उसे 2000 ऑर्डर मिले हैं और वे जल्दी इन ऑर्डर को पूरा करेगी.
कोरोनावायरस संकट ने भारत में हेल्थ-टेक स्टार्टअप की भी उम्मीदें बढ़ा दी हैं. सरकार ने इन पर कुछ रेगुलेशन लगाए हैं. लेकिन Mfine, 1MG और practo जैसी हेल्थ स्टार्ट-अप्स का मानना है कि अब ज्यादा से ज्यादा अस्पताल और डॉक्टर टेलीकन्सल्टिंग के लिए उनके प्लेटफॉर्म पर आएंगे. होम हेल्थकेयर सपोर्ट मुहैया कराने वाली Portea Medical ने अपने टेली कन्स्लटिंग बिजनेस को बढ़ाने की योजना बनाई है.
पीपीई (personal protective equipment) की भी डिमांड बढ़ गई है. भारत में पीपीई बनते हैं लेकिन सीमित मात्रा में. ज्यादातर पीपीई चीन बनाता है. चीन में भी पीपीई की डिमांड इतनी बढ गई है कि वहां की सरकार को अपने वेंडर्स से तीन गुना कीमत पर इन्हें खरीदना पड़ा.
इसके साथ ही वेंटिलेटर्स, टेस्ट किट, ब्लीच ,साबुन, टॉयलेट पेपर बनाने वाली कंपनियों को मिल रहे ऑर्डर में भी भारी इजाफा देखने के मिल रहा है. कुछ खास दवाइयां बनाने वाली कंपनियों के पास भी बढ़िया ऑर्डर है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)