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आर्थिक महासंकट के बीच महारथियों की मास्टर क्लास - आइडिया का सिक्सर

सरकार, इंडस्ट्री और आम आदमी के लिए 6 दिग्गजों की सलाह

क्विंट हिंदी
बिजनेस
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आर्थिक महासंकट के बीच महारथियों की मास्टर क्लास - आइडिया का सिक्सर
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आर्थिक महासंकट के बीच महारथियों की मास्टर क्लास - आइडिया का सिक्सर
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम

महासंकट के बीच पेश है बेपटरी इकनॉमी के लिए 'आइडिया का सिक्सर'. सरकार, इंडस्ट्री और आम आदमी के लिए 6 दिग्गजों की सलाह, एक साथ देखिए और समझिए कि इकनॉमी को पटरी पर लाने के लिए क्या किए जाने की जरूरत है.

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1. कंट्रोल नहीं, निजी सेक्टर को आजादी: रुचिर शर्मा, लेखक और निवेशक

भारत में कोई भी सरकार आए लेकिन सरकारों का फंडामेंटल डीएनए समाजवाद या फिर यथास्थितिवाद की तरफ रहता है. अगर पूंजीवादी नजरिए से देखें तो कुछ सरकारों ने कदम उठाए है लेकिन वो क्रोनी कैपिटलिज्म रहा है. ऐसी बहुत कम सरकारें होती हैं जो पूरी तरह से पूंजीवाद में यकीन रखती हैं. पूंजीवाद का असल मतलब ये है कि प्राइवेट सेक्टर को ज्यादा से ज्यादा आजादी दी जाए. लेकिन भारतीय कुलीन वर्ग के डीएनए में ही है कि ज्यादा से ज्यादा कंट्रोल किया जाए. हर नेता चाहता है कि सरकारी खर्च को ज्यादा कैसे बढ़ाएं. गरीबों को मदद करने के नाम पर हजारों स्कीम लॉन्च कर चुके हैं, लेकिन 70 साल बाद उसका असर क्या हुआ. हमारे डीएनए में सरकार के प्रति ज्यादा ही विश्वास है.

2. इंटरनल ग्लोबलाइजेशन चाहिए: नंदन निलेकणी, को-फाउंडर, इन्फोसिस

देश में इंटरनल ग्लोबलाइजेशन जरूरी है. आप देश के किसी हिस्से में भी हो,एक मार्केट हो. सिंगल पोर्टेबिलिटी हो. इंटरनेशनल ग्लोबलाइजेशन थम चुका है. भारत खुद में एक महादेश है. हमें यहां एक सिंगल मार्केट बनाना चाहिए.

3. लोन नहीं, जनता के हाथ में सीधा पैसा: डॉ. गीता गोपीनाथ, चीफ इकनॉमिस्ट, IMF

सरकार ने रिकवरी के लिए फिस्कल मोर्चे पर कदम उठाए हैं. लेकिन सरकार ने जो भी कदम उठाए हैं वो कर्ज देने, लिक्विडिटी बढ़ाने से जुड़े हैं. लेकिन ज्यादा लोगों को सीधी रकम दी जानी चाहिए थी. हम दुनिया में देख रहे हैं कि देश निम्न आय वाले लोगों के सीधे हाथ में पैसा दे रहे हैं, जिससे इकनॉमी में तुरंत रिकवरी देखने को मिले. मॉनेटरी पॉलिसी के मोर्चे पर कई सारे कदम उठाए गए हैं. इस मोर्चे पर और किया जा सकता है. तीसरा सार्वजनिक निवेश के मोर्चे पर, सरकार ने उस मोर्चे पर भी पैकेज का ऐलान किया है. इससे रिकवरी में भी मदद मिलेगी और रोजगार भी पैदा होंगे.

4. इकनॉमी को चाहिए ROTI: उदय कोटक, एमडी-CEO, कोटक महिंद्रा बैंक

भारत को इकनॉमी बूस्टर देने के लिए बदलाव चाहिए और बदलाव का वक्त अभी है. कारोबार और कारोबारी कल्चर के लिए के लिए ROTI चाहिए. ROTI मतलब रिटर्न ऑन टाइम इन्वेस्टेड. समय की वैल्यू करने की जरूरत है. अगर देश की कहीं भी पूंजी हम लगा रहे हैं तो उसमें हमें रिटर्न क्या मिला.

5. आगे क्या होगा, ये डर खत्म करे सरकार: प्रो. शमिका रवि, सीनियर फेलो, ब्रूंकिंग इंस्टीट्यूशन, इंडिया सेंटर

सरकार को अनिश्चितता कम करनी होगी. सरकार का जोर कल्याणकारी योजनाओं पर रहा है. इकनॉमी को पटरी पर लाने के लिए बड़े सुधार जरूरी हैं. सरकार को बताना होगा कि वो कहां और कितना खर्च करेगी. शुरूआत के ज्यादा स्टेप ह्यूमेनिटेरियन बेसिस पर थे.

6. रोजगार चाहिए-रिस्किल करो, कारोबार चाहिए- रिसेट करो: केवी कामथ, पूर्व प्रेसिडेंट, न्यू डेवलपमेंट बैंक

रिस्किल करना पड़ेगा. रिसेट करने की जरूरत है.ये आगे बढ़ने का मौका है. दिमाग रिसेट हो चुका है, आपको देखने की जरूरत है कि आपका दिमाग रिसेट हुआ है कि नहीं, अगर हां तो ये आपका भविष्य बदलेगा और आप देश का.

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Published: 29 Oct 2020,03:16 PM IST

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