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कोरोना से इकनॉमी को झटका,वर्ल्ड बैंक ने कहा-2.8% रहेगा ग्रोथ रेट

दुनिया भर की तमाम एजेंसियों ने भारत के ग्रोथ रेट अनुमान घटा दिए हैं

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साल 2020-21 में रहेगा 2.8 फीसदी ग्रोथ रेट 
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साल 2020-21 में रहेगा 2.8 फीसदी ग्रोथ रेट 
(फोटो : द क्विंट)

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कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को करारा झटका लगा है. वर्ल्ड बैंक ने रविवार को ‘दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था पर ताजा अनुमान: कोविड-19 का प्रभाव’ रिपोर्ट जारी की. इसमें कहा गया गया है कि 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर पांच फीसदी रह जाएगी लेकिन 2020-21 में इसमें भारी गिरावट आएगी और यह सिर्फ 2.8 फीसदी रह जाएगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 का झटका ऐसे समय लगा है, जब वित्तीय क्षेत्र पर दबाव की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले से सुस्ती है. इस महामारी पर अंकुश के लिए सरकार ने देशव्यापी बंदी लागू की है. इससे लोगों की आवाजाही रुक गई है और वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है.

अर्थव्यवस्था को राहत पैकेज की जरूरत

रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 की वजह से घरेलू आपूर्ति और मांग प्रभावित होने के चलते 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 2.8 प्रतिशत रह जाएगी. वैश्विक स्तर पर जोखिम बढ़ने के चलते घरेलू निवेश में सुधार में भी देरी होगी. रिपोर्ट कहती है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में कोविड-19 का प्रभाव समाप्त होने के बाद अर्थव्यवस्था पांच प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकेगी. हालांकि, इसके लिए अर्थव्यवस्था को वित्तीय और मौद्रिक नीति के समर्थन की जरूरत होगी.

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लॉकडाउन ज्यादा चला तो बड़ा नुकसान,अस्थायी रोजगार बढ़ाएं

संवाददाताओं के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल में विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हैंस टिमर ने कहा कि भारत का परिदृश्य अच्छा नहीं है. टिमर ने कहा कि यदि भारत में लॉकडाउन अधिक समय तक जारी रहता है तो यहां आर्थिक परिणाम विश्व बैंक के अनुमान से अधिक बुरे हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए भारत को सबसे पहले इस महामारी को और फैलने से रोकना होगा. और साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी को भोजन मिल सके.

टिमर ने कहा कि इसके अलावा भारत को विशेष रूप से स्थानीय स्तर पर अस्थायी रोजगार कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होगा. एक सवाल के जवाब में टिमर ने कहा कि इसके साथ ही भारत को लघु एवं मझोले उपक्रमों को दिवालिया होने से बचाना होगा.

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