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कोरोना वायरस संकट की वजह से जुलाई में ही करीब 50 लाख सैलरी लेने वाले लोगों ने अपनी नौकरी खो दी. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) ने ये जानकारी दी है. बताया गया कि कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए लगाए गए सशर्त लॉकडाउन का असर है. भारत ने अपनी अनलॉक की प्रक्रिया 1 जून से शुरू की, इसी के बाद देश में इकनॉमिक एक्टिवटी शुरू हुई.
CMIE के मुताबिक अप्रैल 2020 में 1.77 करोड़ नौकरीपेशा लोगों को नौकरी चली गई थी. वहीं मई में 10 लाख लोगों की नौकरी चली गई. इसके बाद जून में 39 लाख लोगों को नौकरी मिली. लेकिन अब जुलाई में फिर निराश करने वाली खबर आई है कि 50 लाख लोगों की नौकरी चली गई.
देश में जितना रोजगार होता है उसमें से सिर्फ 21% लोग ही सैलरीड क्लास में आते हैं. इन पर CMIE का कहना है कि नौकरीपेशा लोगों की जॉब आसानी से नहीं जाती है लेकिन अगर एक बार चली जाती है तो फिर से नौकरी मिलना मुश्किल हो जाता है.
CMIE के मुताबिक छोटे कारोबारियों, हॉकर्स और रोज कमाने वालों को अप्रैल में भयानक दिक्कतों को सामना करना पड़ा है. अप्रैल में जो 12.15 करोड़ लोगों की नौकरी गई है, उनमें से 9.12 करोड़ लोग इन पेशों से जुड़े थे. इस कैटेगरी सिर्फ 32% लोगों को रोजगार मिलता है लेकिन नौकरी गंवाने वाले 75% यही थे.
भारत में में अब कोविड पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 27,02,743 है, जिसमें 6,73,166 एक्टिव केस, 19,77,780 डिस्चार्ज केस और 51,797 मौतें शामिल हैं. देश ने सात अगस्त को 20 लाख का आंकड़ा छुआ था और बीते दस दिनों में ही छह लाख से अधिक मामले सामने आ गए. हालांकि, राहत की बात ये है कि ठीक होने वाले रोगियों और सक्रिय मामलों के बीच का अंतर हर दिन बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में ठीक हुए लोगों की संख्या सक्रिय मामलों की तुलना में 12 लाख से अधिक है.
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