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साइरस मिस्त्री मामले में टाटा संस सुप्रीम कोर्ट पहुंची

NCLAT ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस बोर्ड के चेयरमैन पद से हटाने को गैरकानूनी बताया था.

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साइरस मिस्त्री 
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साइरस मिस्त्री 
(फोटो: PTI) 

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टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को कंपनी के चेयरमैन के तौर पर बहाल किए जाने के फैसले के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. कंपनी ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलाट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले को चुनौती दी और नौ जनवरी को होने वाली टीसीएस की बोर्ड की बैठक को देखते हुए इसे स्थगित करने की मांग की है.

टाटा के वकीलों ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट में विंटर वेकेशन है, जिस वजह से कोर्ट 6 जनवरी को खुलेगा.

दिसंबर 2019 में एनसीएलएटी ने मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में बहाल कर दिया था. और आदेश दिया था कि एन. चंद्रशेखरन की टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में नियुक्ति अवैध है.

NCLAT ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस बोर्ड के चेयरमैन पद से हटाने को गैरकानूनी बताया था. कोर्ट ने फिर से टाटा ग्रुप का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाए जाने का फैसला सुनाया था. बता दें कि रतन टाटा के संरक्षण में ही एन चंद्रशेखरन टाटा संस को चेयरमैन बनाया गया था. जिन्होंने मिस्त्री की कुर्सी संभाली थी.

एनसीएलएटी की दो जजों की बेंच ने टाटा संस को इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया था.

क्या है पूरा मामला?

साल 2013 में रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस की कमान सौंपी थी. लेकिन कुछ ही दिनों में दोनों के बीच कई मामलों पर असहमति की खबरें आने लगीं थी. दोनों के बीच तकरार की बड़ी वजह साइसर मिस्त्री की मौजूदगी में टाटा डोकोमो की हैंडलिंग ठीक से नहीं हो पाना भी एक बड़ी वजह माना जाता रहा है. इस मामले में कई केस हुए. इसमें कंपनी को हर्जाना भी भरना पड़ा. अमेरिका के कोर्ट में केस चल रहे हैं.

साइसर मिस्त्री चेयरमैन बनते ही कहते आ रहे थे कि कुछ धंधों को कम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि इस वक्त धंधा बढ़ाया नहीं जा सकता है. जबकि रतन टाटा तब कहा करते थे कि यहां से बहुत तेजी से ग्रोथ होनी चाहिए. 2021 तक बिजनेस बढ़कर 500 मिलियन डॉलर के आसपास हो जाना चाहिए. दोनों में ये मतभेद भी मिस्त्री के जाने का एक कारण थे.

अक्टूबर 2016 में साइरस को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया, इसके बाद उन्हें बोर्ड से भी बाहर कर दिया गया. इसके बाद साइरस नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल गए. NCLT में साइसर कानूनी लड़ाई हार गए थे लेकिन NCLAT ने ये फैसला पलट दिया.

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