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18 दिसंबर को नेशनल कंपनी लॉ एपेलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस बोर्ड के चेयरमैन पद से हटाने को गैरकानूनी बताया था. इसी के साथ कोर्ट ने फिर से टाटा ग्रुप का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाए जाने का फैसला सुनाया है. टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को कंपनी के चेयरमैन के तौर पर बहाल किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. अब खुद साइरस मिस्त्री ने कहा है क वो टाटा संस की एग्जीक्यूटिव चेयरमैनशिप नहीं लेंगे. इसी के साथ मिस्त्री ने TCS, टाटा टेलीसर्विसेज और टाटा इंडस्ट्रीज की डायरेक्टरशिप भी लेने से इनकार कर दिया है.
साल 2013 में रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस की कमान सौंपी थी. लेकिन कुछ ही दिनों में दोनों के बीच कई मामलों पर असहमति की खबरें आने लगीं थी. दोनों के बीच तकरार की बड़ी वजह साइसर मिस्त्री की मौजूदगी में टाटा डोकोमो की हैंडलिंग ठीक से नहीं हो पाना भी एक बड़ी वजह माना जाता रहा है. इस मामले में कई केस हुए. इसमें कंपनी को हर्जाना भी भरना पड़ा. अमेरिका के कोर्ट में केस चल रहे हैं.
साइसर मिस्त्री चेयरमैन बनते ही कहते आ रहे थे कि कुछ धंधों को कम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि इस वक्त धंधा बढ़ाया नहीं जा सकता है. जबकि रतन टाटा तब कहा करते थे कि यहां से बहुत तेजी से ग्रोथ होनी चाहिए. 2021 तक बिजनेस बढ़कर 500 मिलियन डॉलर के आसपास हो जाना चाहिए. दोनों में ये मतभेद भी मिस्त्री के जाने का एक कारण थे.
अक्टूबर 2016 में साइरस को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया, इसके बाद उन्हें बोर्ड से भी बाहर कर दिया गया. इसके बाद साइरस नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल गए. NCLT में साइसर कानूनी लड़ाई हार गए थे लेकिन NCLAT ने ये फैसला पलट दिया.
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