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धीरूभाई का ये फॉर्मूला मुकेश को ही नहीं, आपको भी बना सकता है रईस

धीरूभाई की ये सीख न केवल मुकेश अंबानी को सबसे रईस बनाए हुए है, बल्कि कई दूसरों की जिंदगी भी बदल डाली

अभय कुमार सिंह
बिजनेस
Updated:
धीरूभाई की इस सीख ने बदल दिया नजरिया
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धीरूभाई की इस सीख ने बदल दिया नजरिया
(फाइल फोटो: Reuters)

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देश के सबसे रईस शख्स मुकेश अंबानी की संपत्ति में इस साल हर सेकेंड 36,276 रुपए का इजाफा हुआ. मतलब ये है कि उनकी संपत्ति हर घंटे 13 करोड़ से ज्यादा बढ़ती गई. ये किसकी देन है? तात्कालीक तौर पर देखें तो ये शेयरों में उछाल की देन थी, लेकिन इस बात पर कहीं कोई संदेह नहीं है कि ये कमाई और कारोबार में लगातार ग्रोथ उसी दूरदर्शिता की देन है जो धीरूभाई अंबानी ने मुकेश को विरासत में दी है.

''बड़ा सोचो, जल्दी सोचो और आगे की सोचो...क्योंकि विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं होता...''

ये सक्सेस मंत्र धीरूभाई अंबानी ने दिया था. रिलायंस इंडस्ट्रीज का रिटेल कारोबार, 2G-3G की रेस में 4G जियो प्लान, ये सब इसी सक्सेस मंत्र की ही तो देन है. देश के सबसे बड़े कारोबारियों में अपनी अलग पहचान बनाने वाले धीरूभाई 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के चोरवाड़ गांव में हुआ था. ऐसे में धीरुभाई का 89 वां जन्मदिन हैं, आइए जानते हैं उनकी सीख ने कैसे बदल दिया दूसरों के कारोबार करने का नजरिया-

आगे की सोचने वाले ही बन सके हैं धनकुबेर!

धीरूभाई की इस सीख ने बदल दिया नजरिया(फाइल फोटो: Reuters)

धीरूभाई अंबानी महज 16 साल की उम्र में अपने बड़े भाई रमणिकलाल की मदद से यमन के एडेन शहर पहुंचे थे. पहली बार पेशेवर नौकरी-कारोबार से वो रूबरू हुए, पेट्रोलपंप पर काम किया. वो दौर था जब देश को आजादी मिली थी और पुराने कारोबारी अपनी पकड़ मजबूत कर रहे थे. वहीं नए कारोबारियों के लिए राह खुली थी.

यमन से वापस आकर साल 1957 में उन्होंने मुंबई का रूख किया, 350 स्क्वायर फीट का कमरा, एक टेलीफोन, एक टेबल और तीन कुर्सियां, कारोबार इन्हीं चीजों से शुरू हुआ और दुनिया को अलविदा कहते समय तक उन्होंने रिलायंस ग्रुप को देश की सबसे बड़ी इंडस्ट्रीज में शामिल करा दिया.

यहां सीखने वाली बात ये है कि हर कारोबार में धीरूभाई अंबानी ने आगे की सोची, शुरुआत में पोलिएस्टर धागों का इंपोर्ट शुरू किया, बहुत कम लोग इस कारोबार में थे, क्योंकि रिस्क ज्यादा था. लेकिन धीरूभाई की सोच सही साबित हुई और देश में पोलिएस्टर के धागों का इस्तेमाल पसंद किया जाने लगा था. धीरुभाई ने इसे भांपते हुए 1966 में अहमदाबाद के नरोदा में एक कपड़ा मिल की शुरुआत की. ‘रिलायंस टेक्सटाइल्स’ की नींव रखी गई. ‘विमल’ ब्रांड शुरू हुआ और छा गया.

किसी के सोच से बहुत पहले ही धीरूभाई अंबानी की कंपनी ने पेट्रोलियम कारोबार पर भी एकाधिकार कर लिया, ये थी धीरूभाई अंबानी की वक्त से आगे सोचने की काबिलियत.

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धीरूभाई के पदचिह्नों पर ही चलकर मुकेश अंबानी छा रहे हैं....

धीरूभाई के बड़े बेटे ने अपने पिता की दी हुई इस सीख को बकायदा निभाया. जब लोग 2G, 3G की बात करते थे तो उन्होंने लोगों के हाथों में 4G थमा दिया वो भी तकरीबन मुफ्त. आज के समय में बड़ी तेजी से रिलायंस जियो सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बनने की तरफ बढ़ रही है.

नतीजा ये रहा कि मुकेश अंबानी ने साल 2017 में करीब एक लाख 13 हजार करोड़ रुपये अपने कुल कमाई में जोड़े हैं. रिलायंस जियो के लॉन्च के बाद अंबानी की कमाई में भारी बढ़ोतरी आई है. अब मुकेश अंबानी की संपत्ति करीब 40.3 अरब डॉलर हो गई है.

इन लोगों ने धीरुभाई की ही सीख अपनाई....

गौतम अडाणी देश के टॉप 10 रईसों में से एक हैं(फोटो: PTI)

सिर्फ मुकेश अंबानी ही नहीं, बात करते हैं उन लोगों की जो देश के 10 सबसे बड़े रईसों में तो शुमार हैं ही, साथ ही साल 2017 में अपनी कमाई में करोड़ों और अरबों रुपए जोड़े हैं. गौतम अडाणी, लक्ष्मी मित्तल, राधाकृष्ण दमानी कुछ ऐसे ही नाम हैं. अब आप ये सोच सकते हैं कि इनका धीरूभाई से क्या कनेक्शन है? धीरूभाई ने एक मिथ और तोड़ा था कि आपका बैकग्राउंड या ज्यादा पढ़ा-लिखा होना ही आपके सफल और रईस होने की गारंटी नहीं है....सबसे बड़ी चीज है आपके सपने-

एक सामान्य गुजराती परिवार में पैदा हुए गौतम अडाणी आज देश के टॉप 10 रईसों में से एक हैं, साथ ही सबसे बड़े कोयला कारोबारी भी हैं. उन्होंने इस साल 5.56 अरब डॉलर की कमाई की है. ये सपना देखने और हासिल करने का जज्बा शायद उन्हें धीरूभाई की सफलताओं के ही हासिल हुआ होगा. ऐसा ही कुछ स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल के साथ भी है, मित्तल का जन्म साल 1950 में राजस्थान के सादुलपुर में हुआ था.

अपनी मेहनत के बलबूते सुनील मित्तल ने हासिल की है बेशुमार दौलत(फोटो: सुनील मित्तल)

साल 1952 में उनका पूरा परिवार कोलकाता में जा बसा. मित्तल का ये सफर इतना आसान नहीं था, उनको ये कारोबार विरासत में नहीं मिला, अब वो देश के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं और उन्होंने इस साल 5 अरब डॉलर जोड़े.

इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है...

बचपन में 'इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है' ये लाइन खूब पढ़ी होंगी आपने. अब सच में सीखने की जरूरत है. आप मिलेनियल हैं या उम्र थोड़ा आगे-पीछे निकल चुका है, घबराने की बात नहीं है. धीरूभाई अंबानी के फॉर्मूले को अपनाने के लिए आपके पास 2018 का पूरा साल है. सपने देखिए, उसके लिए लड़िए और हासिल कर लीजिए.

अगर नहीं कर पाए तो एक पंक्ति तो है न...क्‍यों डरें जिंदगी में क्‍या होगा कुछ ना होगा तो तजुर्बा होगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 27 Dec 2017,08:29 PM IST

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