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अरुण जेटली का बयान: विकास की मांग करने वाले जरूरी भुगतान भी करें

जेटली ने कहा कि भविष्य में GST स्लैब में कटौती की जा सकती है

द क्विंट
बिजनेस
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वित्तमंत्री अरुण जेटली
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वित्तमंत्री अरुण जेटली
(फाइल फोटोः PTI)

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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि , “अब, जब लोगों के पास विकास की मांग करने का अधिकार है तो उनके ऊपर विकास के लिए जरूरी चीजों के लिए भुगतान करने की भी जिम्मेदारी है और इस पैसे को समाज और देश के व्यापक लाभ के लिए ईमानदारी से खर्च करने की जरूरत है.”

जेटली ने संकेत दिया कि भविष्य में GST स्लैब में कटौती की जा सकती है. जेटली ने कहा कि यदि टैक्स लेवल भविष्य में 'रेवेन्यू न्यूट्रल प्लस' पर पहुंच जाता है, यानी तय सीमा से अधिक राजस्व आता है ,तो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के स्लैब कम किए जा सकते हैं.

अरुण जेटली ने कहा-

मौजूदा जीएसटी प्रणाली के टैक्स स्लैब तभी कम किए जाएंगे, जब राजस्व निर्धारित सीमा से अधिक आएगा. हमारे पास सुधार की गुंजाइश है. एक बार ‘रेवेन्यू न्यूट्रल प्लस’ पर पहुंचने के बाद यानी तय सीमा से अधिक राजस्व आने के बाद जीएसटी के स्लैब घटाए जाएंगे.

जेटली ने सरकार के राजस्व को सभी विकास गतिविधियों की जीवनरेखा कहा है. राज्य के अधिक संसाधन राष्ट्रीय सुरक्षा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचागत विकास के लिए उपयोग में लाए जा सकते हैं.

केंद्र सरकार ने 1 जुलाई से देशभर में सभी इनडॉयरेक्ट टैक्स के स्थान पर एक नई कर प्रणाली जीएसटी लागू की है.

जेटली ने कहा-

समाज में जहां बड़े पैमाने पर वित्तीय घाटा है, एक ऐसा समाज जो पारंपरिक तौर पर कर का भुगतान नहीं करने वाला समाज है. ऐसे समाज में आज बदलाव आ रहा है, यहां लोग धीरे-धीरे कर के अधिक अनुकूल होने के गुण को पहचानने लगे हैं और यही उन कारणों में से एक है कि हमने जीएसटी प्रणाली को चुना है.

जेटली ने कहा कि अप्रत्यक्ष करों से सभी प्रभावित होते हैं और लोगों द्वारा सर्वाधिक इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं सबसे कम कर की श्रेणी में रखी गई हैं.

मौजूदा समय में देश में कर के चार स्लैब यानी पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. इसके साथ ही जीएसटी लागू होने के शुरुआती पांच वर्षो में राज्य सरकारों को होने वाले राजस्व घाटे की भरपाई के लिए कार, बोतलबंद पेय, तंबाकू उत्पाद जैसे लग्जरी सामानों पर अतिरिक्त कर का भी प्रावधान है.

जीएसटी के तहत 81 फीसदी सामानों पर 18 फीसदी या इससे कम कर है और सिर्फ 19 फीसदी सामानों पर अधिकतम 28 फीसदी कर है.

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