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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि , “अब, जब लोगों के पास विकास की मांग करने का अधिकार है तो उनके ऊपर विकास के लिए जरूरी चीजों के लिए भुगतान करने की भी जिम्मेदारी है और इस पैसे को समाज और देश के व्यापक लाभ के लिए ईमानदारी से खर्च करने की जरूरत है.”
जेटली ने संकेत दिया कि भविष्य में GST स्लैब में कटौती की जा सकती है. जेटली ने कहा कि यदि टैक्स लेवल भविष्य में 'रेवेन्यू न्यूट्रल प्लस' पर पहुंच जाता है, यानी तय सीमा से अधिक राजस्व आता है ,तो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के स्लैब कम किए जा सकते हैं.
अरुण जेटली ने कहा-
जेटली ने सरकार के राजस्व को सभी विकास गतिविधियों की जीवनरेखा कहा है. राज्य के अधिक संसाधन राष्ट्रीय सुरक्षा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचागत विकास के लिए उपयोग में लाए जा सकते हैं.
जेटली ने कहा-
जेटली ने कहा कि अप्रत्यक्ष करों से सभी प्रभावित होते हैं और लोगों द्वारा सर्वाधिक इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं सबसे कम कर की श्रेणी में रखी गई हैं.
मौजूदा समय में देश में कर के चार स्लैब यानी पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. इसके साथ ही जीएसटी लागू होने के शुरुआती पांच वर्षो में राज्य सरकारों को होने वाले राजस्व घाटे की भरपाई के लिए कार, बोतलबंद पेय, तंबाकू उत्पाद जैसे लग्जरी सामानों पर अतिरिक्त कर का भी प्रावधान है.
जीएसटी के तहत 81 फीसदी सामानों पर 18 फीसदी या इससे कम कर है और सिर्फ 19 फीसदी सामानों पर अधिकतम 28 फीसदी कर है.
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