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शेयर बाजार खुलने के शुरुआती 15 मिनट में ही मार्केट से करीब 5 लाख करोड़ स्वाहा हो गए. शेयर बाजार में एक दिन में इतनी बड़ी गिरावट कम ही हुई है. और चिंता की बात ये है कि बाजार में लगातार कई दिन से गिर रहा है. अमेरिकी बाजारों के लिए तो बीता हफ्ता 2008 की आर्थिक मंदी के बाद बाजार के लिए सबसे खराब रहा है.
तो आखिर बाजार को हुआ क्या है? ग्लोबल फैक्टर हैं या घरेलू? निवेशकों के लिए क्या संदेश हैं, क्या सावधानियां हैं जो उन्हें बरतने की जरूरत है, यही सब मैं आपको इस वीडियो में बताने की कोशिश करूंगा.
28 फरवरी, हफ्ते का आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार, शेयर बाजार के लिए डरावना रहा. सेंसेक्स करीब 1450 प्वाइंट टूटा वहीं निफ्टी भी 430 प्वाइंट टूटकर 11,200 के स्तरों पर आ गया. बैंकिंग शेयरों की सेहत बताने वाला इंडेक्स निफ्टी बैंक करीब 1000 प्वाइंट टूटा. 28 फरवरी को बाजार लगातार छठे कारोबारी दिन लाल निशान में बंद हुआ है. और बीते पूरे हफ्ते में सेंसेक्स करीब 2900 प्वाइंट और निफ्टी 900 प्वाइंट टूटा है.
शेयर बाजारों में तबाही सिर्फ भारत में हो रही हो, ऐसा भी नहीं है. दुनियाभर के बाजार गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रहे हैं. अमेरिका में सिर्फ एक हफ्ते के अंदर बाजारों में 10% तक कमजोरी देखने को मिली है, जो कि बहुत ज्यादा है. 26 फरवरी को अमेरिकी शेयर बाजार के इंडेक्स डाओ में अंकों के हिसाब से एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. सिर्फ अमेरिका ही नहीं एशियाई बाजारों, यूरोपीय बाजारों, ऑस्ट्रेलिया सब तरफ बाजार लाल ही लाल है.
बड़ी वजह है कोरोनावायरस. चीन से निकले इस वायरस ने दुनियाभर में हड़कंप मचाया हुआ है. चीन के वुहान से निकला ये वायरस अब तक दुनियाभर में अब तक करीब 80 हजार लोगों को अपनी जद में ले चुका है. वहीं 2700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
लेकिन आपके दिमाग में आ रहा होगा कि एक बीमारी पूरे के पूरे वर्ल्ड ट्रेड पर कैसे असर डाल सकती है. पहली बात तो ये बीमारी अब महामारी बनती जा रही है और दूसरा हम ग्लोबलाइजेशन के जमाने में हैं. दुनिया के किसी भी देश की घटना दुनिया के हर देश को प्रभावित करती है. और कोरोनावायरस किसी ऐसे वैसे देश में नहीं हुआ. ये चीन में हुआ और चीन दुनिया की उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति है. चीन अब अमेरिका के आर्थिक कद का देश है. वो दुनिया में बड़ा इंपोर्टर और एक्सपोर्टर दोनों हैं. इसलिए अगर चीन में किसी रोग की वजह से इमरजेंसी के हालात बनते हैं, दुनिया के बड़े हिस्से के कारोबार पर असर पड़ता है. कोरोनावायरस एक संक्रामक रोग है. संपर्क में आने से यह रोग फैलता है. इसी कारण ने चीन से आने वाली सप्लाई और डिमांड चेन पर बुरा असर पड़ा है. चीन से जहाज सामान लेकर नहीं आ रहे. कई एयरलाइंस कंपनियों ने अपनी चीन को जाने वाली फ्लाइट्स रद्द कर दी हैं.
भारतीय शेयर बाजार पर इसका असर पड़ना क्यों लाजमी है अब ये समझिए. भारत में स्टील माइनिंग ओर की लिस्टेड जो भी कंपनिया हैं जैसे वेदांता, हिंडाल्को, कोल इंडिया ये कंपनियां चीन को एक्सपोर्ट करती हैं. अगर चीन में कारोबार ठप है तो इन कंपनियों का कारोबार ठप होगा. इससे इन कंपनियों के शेयर गिरेंगे और भारतीय शेयर बाजार पर बुरा असर देखने को मिलेगा.
गिरते इंटरनेशनल बाजारों का असर भारत पर तो हो ही रहा है, भारत की अपनी इकनॉमी की हालत भी खस्ता है. जीडीपी 6 साल में सबसे कम है, बेरोजगारी 45 साल में सबसे ज्यादा है. अगर आज भारत की खुद की हालत सही होती तो भारत निवेशकों के लिए एक सेफ हेवन हो सकता था.
सबसे पहले बात ये बता दूं कि कोरोनावायरस भले ही अब उतनी तेजी से नहीं फैल रहा लेकिन इसका असर लंबे समय तक रहेगा. यानी कारोबार पर असर अभी रहेगा. तो निवेशक सावधान रहें. बाजार में गिरावट का दौर अभी जारी रह सकता है. जहां निवेश करें सोच समझ कर करें. रिटेल, कोमोडिटी में ज्यादा चौकस रहने की जरूरत है. ट्रैवेल और होटल इंडस्ट्री के लिए आने वाले दिन अच्छे नहीं हैं. तीसरे क्वार्टर के आंकड़े भी तय करेंगे कि बाजार का मूड कैसा रहेगा. तो उसे जरूर देखें. ये भी याद रखें कि गिरते बाजार निवेश का मौका भी देते हैं. तो जो लोग SIP के रास्ते जाना चाहते हैं उनके लिए ये अच्छा मौका भी हो सकता है.
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