Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019इक्विटी निवेश पर टैक्स में संभावित बदलाव से कैसे निपटें?

इक्विटी निवेश पर टैक्स में संभावित बदलाव से कैसे निपटें?

भारत में लिस्टेड शेयरों की खरीद-फरोख्त से होने वाली कमाई पर टैक्स की दरें काफी उदार हैं.

क्‍व‍िंट कंज्यूमर डेस्‍क
बिजनेस
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इक्विटी निवेश पर टैक्स का नियम (फोटो: iStock)
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इक्विटी निवेश पर टैक्स का नियम (फोटो: iStock)
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पीएम नरेंद्र मोदी ने 24 दिसंबर को कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी के एक कार्यक्रम में ये बयान दिया कि शेयर बाजार से कमाई करने वालों को देश के खजाने में ज्यादा योगदान करना चाहिए. इसके बाद से ही अटकलें लगाई जाने लगीं कि सरकार शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर टैक्स की दरें बढ़ाने का मन बना रही है.

वैसे, इसके अगले ही दिन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आकर सफाई दी कि सरकार का शेयरों की खरीद-फरोख्त पर होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लगाने का कोई इरादा नहीं है. फिर भी घरेलू और विदेशी निवेशकों के मन में ये डर बना हुआ है कि बजट में शेयरों पर लगने वाले टैक्स के नियमों में कोई न कोई बदलाव जरूर होगा.

लॉन्ग टर्म कैपिटल पर कोई टैक्स नहीं

भारत में लिस्टेड शेयरों की खरीद-फरोख्त से होने वाली कमाई पर टैक्स की दरें काफी उदार हैं. जहां शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है, वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर कोई टैक्स ही नहीं देना पड़ता. यही नहीं, शेयरों के मामले में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के नियमों का फायदा उठाने के लिए इन्हें अपने पास रखने की अवधि भी दूसरे एसेट के मुकाबले काफी कम है.

अगर आपने शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड में साल भर से ज्यादा का निवेश किया है, तो आप लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के फायदे उठाने के हकदार हो जाते हैं, जबकि प्रॉपर्टी, गोल्ड या डेट म्यूचुअल फंड में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के फायदे के लिए आपको कम से कम तीन साल तक अपना निवेश बनाए रखना होता है. (देखें ग्राफिक्स)

(इन्‍फोग्राफ: द क्विंट)
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साफ है कि टैक्स बेनिफिट के मामले में इक्विटी को बाकी सभी एसेट क्लासेज के मुकाबले सरकारी प्राथमिकता नजर आती है. यही वजह है कि जब प्रधानमंत्री इक्विटी निवेशकों को देश के खजाने में ज्यादा योगदान करने का आह्वान करते हैं, तो हर निवेशक के मन में डर समा जाता है. देश में इक्विटी कैपिटल गेन्स पर 2003-04 तक टैक्स लगता था, जिसे तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने खत्म कर दिया था.

अगला बजट जब 2004-05 में पी चिदंबरम ने पेश किया, तो वो नुकसान की भरपाई के लिए सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स का प्रावधान लेकर आए. सरकार को इस टैक्स से सालाना करीब 7400 करोड़ रुपये की कमाई होती है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि बजट में अगर इक्विटी निवेश पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन बेनेफिट के नियम बदलते हैं, तो क्या किया जाना चाहिए?

परिदृश्य 1- अगर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए होल्डिंग पीरियड बढ़ जाए

सरकार इस विकल्प पर विचार कर सकती है और इक्विटी निवेश में भी ये नियम लाया जा सकता है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए निवेश की अवधि 12 महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दी जाए. पहले से ही रियल एस्टेट, गोल्ड और डेट म्यूचुअल फंड में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के लिए निवेश अवधि 36 महीने है. ऐसा कदम उठाया भी जाता है, तो लंबी अवधि के इक्विटी निवेशकों को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वैसे भी शेयर बाजार में निवेश आप कम से कम 3-5 सालों के पीरियड को ध्यान में रखकर कर रहे होंगे.

आप अपने निवेश में बने रहिए. हां, अगर आप मीडियम टर्म के निवेशक हैं, तो आप पर इसका असर पड़ेगा और आपको अपने मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ेगा.

परिदृश्य 2- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स लगा दिया जाए

हो सकता है कि सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 10 प्रतिशत टैक्स लगा दे. ऐसी सूरत में सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स हटाने का एलान भी हो सकता है. अगर ऐसा होता है, तो इक्विटी निवेशकों को थोड़ा झटका जरूर लगेगा, क्योंकि आपके अपने रिटर्न में से एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार को देना पड़ेगा. जो लंबी अवधि के निवेशक हैं, उन्हें अपने वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखकर इक्विटी में अपना निवेश बढ़ाना पड़ सकता है.

ऐसे निवेशक, जो टैक्स भरना ही नहीं चाहते, उनके सामने एक रास्ता है. अगर बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स लगाने का ऐलान होता भी है, तो वो अगले वित्त वर्ष से लागू होगा. निवेशक अपने साल भर से पुराने इक्विटी निवेश पोर्टफोलियो को 31 मार्च के पहले बेच दें और मौजूदा वित्त वर्ष में मिल रही टैक्स छूट का फायदा उठा लें. आगे की निवेश रणनीति सरकार के फैसलों के मुताबिक बनाएं.

हां, ये याद जरूर रखें कि इक्विटी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगने के बावजूद सबसे अच्छा रिटर्न यहीं से मिलेगा, जो आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करता रहेगा.

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