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सरकार ने माइकल पात्रा को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया है. वो अब तीन साल तक इस पद पर बने रहेंगे. नियुक्ति पर बनी कैबिनेट कमिटी ने प्रेस नोट जारी कर इस बात की जानकारी दी है. आरबीआई डिप्टी गवर्नर का पद 23 जुलाई 2019 के बाद से खाली पड़ा है, तब विरल आचार्य ने डिप्टी गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था. माइकल पात्रा फिलहाल मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी के सदस्य हैं.
बाजार ने भी माइकल पात्रा की नियुक्ति को सराहा. दरअसल बाजार पहले से ही आर्थिक नीति पर पात्रा के विचारों को जानता है. पिछली कुछ मॉनेटरी पॉलिसी में पात्रा ग्रोथ बढ़ाने के लिए रेट कट करने के पक्ष में रहे हैं.
आरबीआई के नए डिप्टी गवर्नर नियुक्त हुए माइकल पात्रा के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी. महंगाई को काबू में रखना और ग्रोथ को बढ़ाना. मतलब उनको महंगाई और ग्रोथ के बीच तालमेल बैठाना है. भारत में स्टेगफ्लेशन की स्थिती बनी हुई है. एक तरफ को ग्रोथ थम गई है, दूसरी तरफ अब महंगाई भी पांव पसारने लगी है. ये स्थिति किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए घातक हैं.
पात्रा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में रिसर्च टीम के हेड भी हैं. इन पर ये भी जिम्मेदारी होगी कि वो सेंट्रल बैंक के अनुमानों को और सटीक बनाने पर काम करें. पिछले कुछ सालों में महंगाई में गिरावट और ग्रोथ में कमजोरी के अनुमानों को लेकर आरबीआई की खिंचाई हुई है.
आरबीआई में एक गवर्नर और चार डिप्टी गवर्नर होते हैं. अभी शक्तिकांत दास आरबीआई के गवर्नर हैं. आरबीआई में अभी पहले से 3 गवर्नर एनएस विश्वनाथन, बीपी कुननगो और एमके जैन मौजूद हैं. माइकल पात्रा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के चौथे डिप्टी गवर्नर होंगे. इसके पहले विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल खत्म होने के 6 महीने पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
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