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अगस्त में जीएसटी कलेक्शन घट कर एक लाख करोड़ रुपये से नीचे आ गया. इस महीने जीएसटी कलेक्शन 98,202 करोड़ रुपये तक ही पहुंच सका, जबकि जुलाई में जीएसटी कलेक्शन 1.02 लाख करोड़ रुपये रहा था. हालांकि अगस्त 2019 में जीएसटी कलेक्शन अगस्त 2018 की तुलना में 4.5 फीसदी ज्यादा रहा है. बहरहाल यह दूसरा मौका है, जब जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये से नीचे पहुंचा है. इससे पहले जून में जीएसटी कलेक्शन 99,939 करोड़ रुपये रहा था.
क्या जीएसटी में यह कमी आर्थिक मंदी का नतीजा है. पिछले कुछ तिमाहियों से लगातार जीडीपी ग्रोथ रेट में लगातार कमी दर्ज की जा रही है. मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट न्यूनतम 5 फीसदी पर पहुंच गया. देश में ऑटो सेक्टर की बिक्री बिल्कुल रसातल में चली गई. एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल आइटमों की मांग काफी घट गई है.
दरअसल 2017 में GST लागू हुआ तो कई चीजों पर इस टैक्स की दरें काफी ज्यादा थी. बाद में लगातार कई चीजों पर GST दरें कम की गईं. शुरुआत में GST दाखिल करने की प्रक्रिया काफी जटिल थी इसलिए लगातार कलेक्शन में कमी दर्ज की गई. GST को टैक्स व्यवस्था के सरलीकरण के नाम पर लाया गया था. लेकिन यह मकसद पूरा नहीं हो रहा था. बाद में GST रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया थोड़ी सरल की गई. इसके बाद टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी शुरू हुई. हालांकि अभी भी GST रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया जटिल बनी हुई है.
जून में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि अगर किसी महीने में संग्रह कम भी रहता है तो भी वित्त वर्ष के अंत तक बजट लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे. मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि अगले महीनों में GST संग्रह में बढ़ोतरी होगी.
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