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ई-कॉमर्स सेक्टर की दिग्गज कंपनियां अमेजन और वॉलमार्ट ने भारतीय ऑनलाइन रिटेल में बादशाहत कायम करने का प्लान तैयार किया था. लेकिन उनका ये प्लान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक प्राथमिकताओं के आगे ढेर हो गया.
आने वाले अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने हैं. इसी मौके का फायदा उठाते हुए लोकल रिटेलरों ने सरकार पर दबाव बनाकर अमेरिकी ऑनलाइन दिग्गजों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने इस महीने जेफ बेजोस के अमेजन और वॉलमार्ट के मालिकाना हक वाले फ्लिपकार्ट समेत विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए अड़चनें पैदा कीं. ऑनलाइन मार्केटिंग में इन दोनों कंपनियों की 70 फीसदी हिस्सेदारी है.
छोटे व्यापारियों को बचाने के उद्देश्य से ई-कॉमर्स सेक्टर के लिए एफडीआई नियमों में किए गए बदलाव देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी को फायदा पहुंचा सकते हैं, जो इस सेक्टर की विदेशी कंपनियों के लिए एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी बनने की ओर बढ़ रहे हैं.
हाल ही में तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार के बाद बीजेपी सरकार परेशान है. इससे पहले गुजरात में भी बीजेपी जैसे-तैसे अपनी सरकार बना पाई थी. बीजेपी लोगों के भीतर इस नाराजगी का कारण नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों को मान रही है. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले सरकार जीएसटी और नोटबंदी से प्रभावित हुए छोटे कारोबारियों को मनाने की कोशिश कर रही है.
एफडीआई के नए नियमों से ई-कॉमर्स कंपनियां अपना इनवेंटरी नहीं रख पाएंगी और उन्हें सभी सेलर्स के साथ समान व्यवहार करना होगा. साथ ही, वे किसी कंपनी का माल एक्सक्लूसिव बेचने के लिए भी डील नहीं कर पाएंगे. यानी अब भारत में कारोबार कर रही विदेशी ऑनलाइन रिटेलर कंपनियां भारी-भरकम डिस्काउंट नहीं दे पाएंगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, इसका सीधा फायदा अंबानी के नए वेंचर के साथ ही घरेलू कंपनियों को होगा. यूबीएस एजी ने पिछले महीने कहा था कि अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पास भारत का सबसे बड़ा रिटेल चेन और तीसरा सबसे बड़ा दूरसंचार नेटवर्क है. इसमें अमेजन और अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड का स्थानीय संस्करण बनने की अपार क्षमता है.
कंसल्टेंसी ग्रेहाउंड रिसर्च के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर संचित वीर गोगिया कहते हैं, ''मानें या न मानें, लेकिन भारत में ई-रिटेलरों के लिए एफडीआई के सख्त नियम रिलायंस और रिटेल क्षेत्र में उनकी महत्वाकांक्षाओं के लिए बड़ी जीत हैं''
यूबीएस के विश्लेषकों का अनुमान है कि रिलायंस रिटेल मार्केटिंग में दस्तक देने के लिए यूनिक मॉडल तैयार कर रहा है. रिलायंस की इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने में उसके 280 मिलियन टेलीकॉम सब्सक्राइबर, ब्राडबैंड ऑफरिंग और देशभर में उसके 10 हजार स्टोर मददगार साबित हो सकते हैं. इसके अलावा रिलायंस मॉम्स एंड पॉप के साथ भी साझेदारी कर सकती है. इस कंपनी के देशभर में 12 मिलियन स्टोर हैं. इन स्टोर्स को डिस्ट्रीब्यूशन और डिलिवरी सेंटर बनाया जा सकता है.
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