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सोना यानी गोल्ड भारतीयों के दिल के करीब है, हर कोई थोड़ा ही सही लेकिन गोल्ड जरूर रखता है, कई लोग इसे निवेश की नजर से देखते हैं तो कई इसे शुभ..शगुन भी मानते हैं. खबर ये है कि भारत ने पहला ग्लोबल गोल्ड एक्सचेंज (India International Bullion Exchange, IIBX) लॉन्च कर दिया है, इसकी घोषणा दो साल पहले हुई थी...लेकिन ये गोल्ड एक्सचेंज आपकी जेब पर क्या असर करेगा.. जेब पर असर.. बिल्कुल हर सोमवार हम आपकी जेब से जुड़ी खबर को विस्तार में बताते हैं और हफ्ते की बड़ी खबरों पर भी नजर डालते हैं जो आपके जेब से जुड़ी है.
पहली खबर- म्यूचुअल फंड के निवेशक या जो निवेश करने वाले हैं और अभी नॉमिनी देना चाहते हैं या नॉमिनेशन से बाहर आना चाहते हैं तो इससे जुड़ी सुविधा फिलहाल बंद हैं. नए नियम के तहत म्यूचुअल फंड निवेशकों को म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा नॉमिनेशन फॉर्म या ऑप्ट आउट डिक्लेरेशन फॉर्म का विकल्प देने का प्रावधान किया गया है. यह नियम 1 अक्टूबर से लागू होगा.
बैंकिंग में पहले के मुकाबले फ्रॉड के मामलों में गिरावट आई है. ये फ्रॉड हजारों करोड़ का है. RBI के मुताबिक बैंकिंग में 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी में गिरावट है. वित्त वर्ष 2021-22 में फ्रॉड की संख्या 265 से घटकर 118 रही. इसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों बैंक्स शामिल हैं.
RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि RBI ब्याज दर बढ़ा रहा है जिससे महंगाई कम होने में मदद मिलेगी. सबसे ज्यादा महंगाई खाद्य और ईंधन में है. उन्होंने कहा कि हमारे पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और विदेशी कर्ज भी कम हैं. बता दें कि हमारे फॉरेन रिजर्व में 571 अरब डॉलर रह गया है.
अब बात करते हैं गोल्ड एक्सचेंज की पीएम मोदी ने 29 जुलाई को गिफ्ट सिटी यानी गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी में भारत के पहले इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (IIBX) को लॉन्च किया. इस एक्सचेंज पर फिजिकल सोने और चांदी की बिक्री होगी.
इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज या गोल्ड एक्सजेंच. इसमें बुलियन का मतलब हाई प्यूरिटी का सोना या चांदी जो बिस्किट, ईंट के आकार या सिक्कों के रूप में होता है.
देखिए सोने को आयात अब तक सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता था. मतलब कुछ बैंक और केंद्रीय बैंकों की तरफ से मंजूर की गई नॉमिनेटेड एजेंसियों को ही सोने को सीधे आयात करने की मंजूरी थी. लेकिन इस बुलियन एक्सचेंज की मदद से क्वालिफाइड ज्वैलर्स सीधे इसका आयात कर सकेंगे. ये एक्सचेंज आपको सोने और चांदी को स्टोर करने के लिए भी बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर देगा.
लेकिन इस एक्सचेंज पर आप और हम ट्रेड नहीं कर पाएंगे. मसलन इसके लिए आपको क्वालीफाइड ज्वैलर होना पड़ेगा. क्वालिफाइड ज्लैर की नेट वर्थ कम से कम 25 करोड़ होनी चाहिए और भी मानदंडों को पूरा करना होगा. इसके अलावा NRI, प्रोपाइटरशिप फर्म, रजिस्टर्ड पार्टनरशिप फर्म,
प्राइवेट/पब्लिक लिमिटेड कंपनी, आदी..इस पर ट्रेड कर पाएंगे.
आप पूछेंगे साहब जब हम ट्रेड ही नहीं कर पाएंगे तो हमारा फायदा कैसा?
वो अइसा कि इस एक्सचेंज पर जो सोना ट्रेड होगा वही रिटेलर्स के पास आएगा और चेन के मुताबिक आपके पास. एक्सचेंज का फायदा ये है कि इसपर हर क्वालिटी का सोना ट्रेड नहीं होगा, केवल हाई क्वालिटी का सोना ही मिलेगा यानी आप तक हाई प्यूरिटी वाला सोना ही पहुंचेगा, ट्रांस्परेंसी होगी, और भारत को सोने की कीमत तय करने को मिलेगा. अब तक क्या होता है सब जगह सोने का भाव एक-सा नहीं होता. हम विदेशी बाजार के आधार पर कीमत तय करते हैं लेकिन इस एक्सचेंज पर ट्रेड होने से कीमतें भारत तय कर सकेगा, कीमत को लेकर आपका संकोच खत्म होगा.
इस एक्सचेंज पर ट्रेडिंग डॉलर में भी हो सकेगी यानी भारत के एक्सचेंज पर दोनों- सोना खरीदने और बेचने वाला विदेशी हो सकता है. यानी हम बुलियन का हब बन सकेंगे. इससे भारत में निवेश आएगा, कारोबार बढ़ेगा और नई नौकरियां भी पैदा हो सकेंगी. गोल्ड लोन लेना भी आसान होगा.
इस एक्सचेंज की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि भारत गोल्ड का बहुत बड़ा कंज्यूमर है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में सोने की मांग सालाना आधार पर 43% अधिक रही. यानी 170 टन. भारत में सोने के गहनों की मांग 49% बढ़कर 140 टन रही. दूसरी ओर ग्लोबल लेवल पर सोने की मांग 8% घटी है. अब देखिए मांग 170 टन है और भारत केवल 1.5 टन गोल्ड ही माइन करता है. बाकी सारा इंपोर्ट होता है.
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