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नोटबंदी के एक साल से ज्यादा हो गए हैं. लेकिन अभी भी इसके फायदे-नुकसान पर विश्लेषण जारी है. अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि नोटबंदी से मची अफरातफरी एक अस्थाई घटना थी और ज्यादा कीमतों के नोट को चलन से बाहर करने से 'स्थाई और पर्याप्त लाभ' मिलेगा.
CNBC टीवी 18 को दिए एक इंटरव्यू में IMF के आर्थिक सलाहकार और निदेशक रिसर्च मौरिस ऑब्स्टफेल्ड ने कहा कि हालांकि नोटबंदी, साथ ही GST के कारण थोड़े समय के लिए अवरोध उत्पन्न हुए हैं, लेकिन दोनों ही उपायों से लंबे समय में फायदा होगा.
ऑब्स्टफेल्ड ने कहा, "नोटबंदी की लागत काफी हद तक अस्थाई है और हमारा मानना है कि इस कदम से स्थाई और पर्याप्त लाभ होगा."
उन्होंने कहा, "नोटबंदी और जीएसटी दोनों के लंबे समय में लाभ होंगे, हांलाकि इनसे अल्पकालिक परेशानियां पैदा हुई हैं." आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ने जीएसटी को एक 'काम में प्रगति' के तौर पर बताया है और कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 'धीरे-धीरे समायोजित' हो रही है.
ऑब्स्टफेल्ड ने भारत सरकार के किए गए कुछ सुधारों को रेखांकित किया, जिसने बहुपक्षीय एजेंसियों को प्रभावित किया है. उन्होंने कहा, "सरकार ने पहला अहम कदम, जैसे दिवाला और दिवालियापन संहिता को लागू किया है, जिससे भारत तो विश्व बैंक के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' रैंकिंग में अपनी स्थिति और सुधारने में मदद मिलेगी."
नोटबंदी का ऐलान 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इस ऐलान के बाद से 500 और 1 हजार के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया. इसके बाद नए 500 और 2 हजार के नोट लाए गए. बीजेपी सरकार के इस फैसले का आकलन कई एजेंसियों में अलग-अलग तरीकों से किया गया. कभी इसके फायदे गिनाए गए तो कभी नुकसान.
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