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इनकम टैक्स विभाग ने एसेसमेंट ईयर 2018-19 यानी फाइनैंशल इयर 2017-18 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म जारी कर दिए हैं. वैसे तो इन फॉर्म्स का फॉर्मेट काफी कुछ पिछले साल जैसा ही है, लेकिन कुछ बदलाव किए गए हैं जिनका ध्यान रखना टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी होगा.
पिछले साल की ही तरह इस बार भी नौकरीपेशा लोगों के लिए एक पेज का रिटर्न फॉर्म जारी किया गया है, जिसे आईटीआर फॉर्म 1 या सहज कहा जाता है. लेकिन इस फॉर्म में इस बार इनकम टैक्स विभाग हर टैक्सपेयर की ज्यादा जानकारी मांग रहा है.
इस बार नौकरीपेशा लोगों को अपनी सैलरी का ब्रेकअप भी रिटर्न फॉर्म में बताना होगा.
वैसे ये सारे ब्यौरे नौकरीपेशा कर्मचारी को उसकी कंपनी की तरफ से मिलने वाले फॉर्म 16 में दिए होते हैं, लेकिन अब तक ये सारी जानकारी रिटर्न फॉर्म में देने की जरूरत नहीं होती थी. इस साल के रिटर्न फॉर्म में अब आपको ये सारी जानकारी इनकम टैक्स विभाग को बतानी पड़ेगी.
जो लोग हाउस प्रॉपर्टी से इनकम दिखाते हैं, उन्हें भी अब पहले से ज्यादा जानकारी देनी होगी. अब तक सिर्फ उन्हें हाउस प्रॉपर्टी की आय का खुलासा करना होता था, लेकिन अब कुल किराया, लोकल अथॉरिटी को चुकाए गए टैक्स, अगर होम लोन लिया है तो उस पर चुकाए गए ब्याज, और फिर हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली कमाई की जानकारी रिटर्न फॉर्म में देनी होगी.
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इस बार नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में जमा की गई नकदी का ब्यौरा देने वाला कॉलम हटा दिया गया है, जो पिछले साल के रिटर्न फॉर्म में जोड़ा गया था. ये रिटर्न लोगों को ऑनलाइन ही फाइल करने हैं, हालांकि 80 साल से ज्यादा की उम्र वाले और सालाना 5 लाख रुपए तक की आय वाले लोगों को पेपर रिटर्न भी फाइल करने का विकल्प है.
प्रवासी भारतीय यानी एनआरआई अब आईटीआर-1 में रिटर्न दाखिल नहीं कर सकेंगे, उन्हें आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा. हालांकि उन्हें एक राहत ये दी गई है कि वो टैक्स रिफंड क्लेम करने के लिए विदेश में अपने किसी बैंक खाते का ब्यौरा दे सकते हैं. अभी तक उन्हें रिफंड के लिए भारत में ही किसी बैंक ब्रांच के डिटेल्स देना अनिवार्य था.
नौकरीपेशा लोगों के अलावा दूसरे टैक्सपेयर्स के लिए भी इस बार रिटर्न फाइलिंग के लिए नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं. सबसे बड़ा बदलाव है छोटे बिजनेसमैन के लिए, जो आईटीआर-4 में रिटर्न भरते हैं, अब उन्हें अपना जीएसटी आइडेंटिफिकेशन नंबर और जीएसटी के तहत घोषित टर्नओवर का खुलासा इनकम टैक्स रिटर्न में भी करना होगा. साथ ही जो लोग किसी फर्म में पार्टनर हैं, अब उन्हें आईटीआर-2 की बजाय आईटीआर-3 में अपना आयकर रिटर्न भरना होगा.
इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है, और जरूरत पड़ने पर विभाग इसे बढ़ा भी सकता है. लेकिन ये जरूर याद रखें कि इस साल से रिटर्न भरने में देरी काफी महंगी पड़ सकती है.
नए नियमों के मुताबिक अगर डेडलाइन के बाद रिटर्न 31 दिसंबर तक भरा जाता है तो जुर्माना 5,000 रुपए होगा, और 31 दिसंबर के बाद यही जुर्माना बढ़कर 10,000 रुपए हो जाएगा. हालांकि अगर किसी टैक्सपेयर की सालाना आय 5 लाख रुपए तक है तो उसके लिए अधिकतम जुर्माना 1,000 रुपए होगा.
इस साल से आईटी रिटर्न में रिवीजन की अवधि भी कम कर दी गई है. अगर 31 जुलाई 2018 तक रिटर्न फाइल करने के दौरान उसमें किसी तरह की भूल-चूक होती है, तो टैक्सपेयर के पास रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय होगा. अभी तक टैक्सपेयर को इसके लिए दो साल तक का समय मिलता था, जिसे घटाकर अब एक साल कर दिया गया है.
इसलिए बेहतर यही है कि इनकम टैक्स रिटर्न आप आयकर विभाग की तय डेडलाइन के पहले ही भर दें, ताकि अगर उसमें कोई गलती रह गई है तो समय रहते उसका पता चल जाए और आप रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकें.
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