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अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ने की स्थिति में फारस की खाड़ी के देश को भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है. भारत के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है क्योंकि तमाम कोशिश के बावजूद निर्यात के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन कमजोर दिख रहा है.
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और बढ़ने की स्थिति में फारस की खाड़ी के देश को भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है. भारत के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है क्योंकि तमाम कोशिश के बावजूद निर्यात के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन कमजोर दिख रहा है.
अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के टॉप जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिका-ईरान तनाव बढ़ गया है. भारत के लिए ईरान प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में एक हैं.
वित्त वर्ष 2018-19 में ईरान को भारत का निर्यात 3.51 अरब डॉलर या 24,920 करोड़ रुपये का रहा था. वहीं इस दौरान आयात 13.52 अरब डॉलर या 96,000 करोड़ रुपये रहा था. व्यापार असंतुलन की प्रमुख वजह भारत की ओर से ईरान से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात है. अभी दोनों देश आपसी व्यापार बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय तरजीही व्यापार करार (पीटीए) को लेकर वार्ताएं कर रहे हैं.
तेल की सप्लाई को लेकर भी चिंता जताई जा रही है.हालांकि ईरान-अमेरिका के बीच तनाव से भारत में तेल सप्लाई पर ज्यादा असर फिलहाल नहीं पड़ने वाला. लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों को बढ़ने से रोकना मुश्किल होगा. पिछले कुछ दिनों से भारत में लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ रही है. अमेरिकी हमले में ईरानी शीर्ष कमांडर के मारे जाने के तुरंत बाद ही अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दाम में चार फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी थी.
(भाषा के इनपुट के साथ )
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