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इंफोसिस में चल रहा विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. शुक्रवार को कंपनी के पूर्व चेयरमैन आर शेषशायी ने कंपनी के को-फाउंडर नारायणमूर्ति पर झूठ बोलने और व्यक्तिगत हमला करने का आरोप लगाया है. शेषशायी ने मूर्ति को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि वो ये नहीं समझ पा रहे हैं कि मूर्ति की लगातार बदले की भावना के पीछे वजह क्या है.
बता दें कि नारायणमूर्ति और कंपनी के दूसरे को-फाउंडर्स के अभियानों की वजह से नंदन नीलेकणि की कंपनी में वापसी हुई है. इसके बाद ही शेषशायी और तीन दूसरे डायरेक्टर्स ने कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से इस्तीफा दे दिया.
शेषशायी ने कहा है कि इंफोसिस के बारे में कोई भी बात कहते समय उन्होंने चीजों को पूरी सच्चाई के साथ रखा है.
नीलेकणि के इंफोसिस का चेयरमैन नियुक्त होने के बाद 29 अगस्त को मूर्ति ने पिछले बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की जमकर आलोचना की थी, उन्होंने कहा था कि बोर्ड ने घटिया कॉर्पोरेट मैनेजमेंट का परिचय दिया है. उन्होंने इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टमेंट के एक सम्मेलन में कहा था कि इन्वेस्टर के रूप में मेरी चिंता पिछले बोर्ड का खराब प्रशासन है.
इस दौरान मूर्ति ने साल 2015 के एक तबादले का जिक्र किया था. अक्टूबर, 2015 कंपनी के पूर्व CFO राजीव बंसल को पैकेज में दी गई मोटी रकम को लेकर मूर्ति ने कहा था कि कंपनी ने बंसल को अत्यधिकर रकम देने के लिए असामान्य करार किया है. उन्होंने कहा था कि कंपनी ने अभी तक न ही किसी पिछले सीएफओ और न ही वर्तमान सीएफओ को उनके कांट्रैक्ट में इतनी बड़ी रकम देने का वादा किया है. उन्होंने कहा-
मूर्ति ने कहा कि बंसल को इतनी बड़ी रकम के भुगतान पर प्रतिकूल मीडिया रिपोर्ट्स के बाद, मौजूदा नॉन-एग्जिक्यूटिव चेयरमैन नंदन नीलेकणि और दूसरे को-फाउंडर्स ने 28 जून 2016 को शेषशायी से कहा था कि इस तरह के एक बड़े राशि का भुगतान करने के लिए एक अजीब निर्णय कैसे लिया?
ऐसे में अब शेषसायी ने कहा कि मूर्ति ने मुझे निशाना बनाया है. शब्दों का गलत मतलब निकाला गया है और ये बताने का प्रयास किया है कि उन्होंने (शेषशायी) झूठ बोला है.
(इनपुट: भाषा)
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