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देश की दिग्गज सॉफ्टेवयर कंपनी इंफोसिस में पिछले कुछ महीनों से उठा पटक का दौर चल रहा है. कंपनी के फाउंडर्स और बोर्ड के बीच विवादों की खबर के बाद 18 अगस्त को CEO और एमडी विशाल सिक्का ने इस्तीफा दे दिया था और अब कंपनी के को-फाउंडर्स में से एक नंदन नीलकेणि की इंफोसिस में वापसी हो गई है.
नीलेकणि को नॉन एक्जिक्यूटिव चेयरमैन बनाया गया है. इस पूरे विवाद के दौरान कंपनी के फाउंडर नारायमूर्ति का नाम कई बार सामने आया, कंपनी के बोर्ड ने सिक्का के इस्तीफे के पीछे मूर्ति को ही कारण बताया था.
9 फरवरी: कंपनी के को-फाउंडर नारायणमूर्ति ने बोर्ड के कामकाज के तरीके पर चिंता जताई.
13 फरवरी: बोर्ड ने नारायणमूर्ति के साथ विवाद की खबरों को खारिज किया और विशाल सिक्का का बचाव किया. ऐसी खबर थी की पूर्व सीएफओ राजीव बंसल और जनरल काउंसिल डेविड केनेडी को नौकरी छोड़ने पर जो मुआवजा दिया गया उसे मूर्ति ने गलत ठहराया था.
21 फरवरी: विशाल सिक्का ने कंपनी और कर्मचारियों को कथित तौर पर 'उत्पीड़न की हद तक' टारगेट करने के लिए मीडिया को लताडा़
23 फरवरी: इंफोसिस बोर्ड ने चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर प्रवीण राव के वेतन में बढ़ोतरी की, 31 मार्च 2018 तक अंतरिम CFO और मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर प्रमोशन दिया.
13 अप्रैल: इंडिपेंडेंट डायरेक्टर रवि वेंकटेशन को बोर्ड ने को-चेयरमैन नियुक्त किया
1 जून: कंपनी के को-फाउंडर नारायणमूर्ति ने शीर्ष अधिकारियों को कम सैलरी लेने और नौकरियों में छंटनी को रोकने के लिए कहा.
24 जून: कंपनी के को-फाउंडर्स कंपनी की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) से दूर रहे
17 जुलाई: नारायणमूर्ति ने इंफोसिस चैयरमेन का पद छोड़ने पर पछतावा जताया
18 अगस्त: विशाल सिक्का ने कंपनी के CEO और MD के पद से इस्तीफा दिया. बोर्ड ने इस्तीफे के पीछे नारायणमूर्ति को कारण बताया. कंपनी का शेयर करीब 10 फीसदी गिरा.
19 अगस्त: कंपनी ने 1150 रुपए के भाव पर 13 हजार करोड़ के शेयर बायबैक करने का ऐलान किया
24 अगस्त: बोर्ड ने कंपनी के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि को नॉन एक्जिक्यूटिव चेयरमैन बनाया. वहीं बोर्ड के मौजूदा चेयरमैन आर. शेषशायी और को-चेयरमैन रवि वेंकटेशन ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
इसके अलावा विशाल सिक्का, निदेशक मंडल के सदस्य जेफरी एस. लेहमन और जॉन एचमेंडी ने भी तत्काल प्रभाव से निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया है,
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