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Inheritance Tax क्या है, जो भारत में भी लागू था, दुनिया में और कहां लगाया जाता है?

Inheritance Tax: भारत में 85% तक इनहेरिटेंस टैक्स वसूला जाता था, जिसे राजीव गांधी सरकार ने खत्म कर दिया था.

प्रतीक वाघमारे
बिजनेस
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<div class="paragraphs"><p>Inheritance Tax क्या है जो भारत में भी लागू था? दुनिया में कहां लगाया जाता है इनहेरिटेंस टैक्स</p></div>
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Inheritance Tax क्या है जो भारत में भी लागू था? दुनिया में कहां लगाया जाता है इनहेरिटेंस टैक्स

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (Congress) के अध्यक्ष सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) ने विरासत कर (इनहेरिटेंस टैक्स - Inheritance Tax) का जिक्र छेड़ कर नया विवाद खड़ा कर दिया है. लेकिन ये किस तरह का टैक्स होता है? आपको बता दें कि भारत में भी ये टैक्स एक समय में वसूला जाता था. चलिए इसके बारे में सबकुछ बताते हैं.

सैम पित्रोदा ने क्या कहा? 

सैम पित्रोदा ने 'इनहेरिटेंस टैक्स' का समर्थन किया और अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा,

"अमेरिका में विरासत कर है. तो, चलो मान लेते हैं कि अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45% अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है और बाकी 55% सरकार अपने हिस्से में ले लेती है. यह एक दिलचस्प कानून है."

हालांकि, बाद में कांग्रेस ने साफ किया कि इनहेरिटेंस टैक्स का मुद्दा उनके एजेंडे में नहीं है. लेकिन राजनीति में राई का पहाड़ बनना कोई बड़ी बात नहीं है.

जब भी बात विरासत को लेकर टैक्स की होती है तो उसमें दो तरह की टैक्स व्यवस्था की बात होती है. एक है एस्टेट टैक्स. दूसरा, इनहेरिंटेंस टैक्स. चलिए दोनों समझते हैं.

क्या होता है एस्टेट टैक्स?

एस्टेट यानी संपत्ति. ये टैक्स उस व्यक्ति की संपत्ति पर लगता है, जिसकी मौत हो चुकी हो. इसे ‘डेथ टैक्स’ भी कहते हैं. ये टैक्स अमेरिका में लागू है. इसे संपत्ति के नॉमिनी पर नहीं लगाया जाता है. अमेरिका में यह टैक्स 18% से 40% के बीच लगाया जाता है.

मान लीजिए अल्फा अपने पीछे 1000 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ कर गया है और नॉमिनी उसका बेटा बीटा है. ऐसे में बीटा को मिली संपत्ति टैक्स के दायरे में नहीं आएगी. लेकिन बीटा को संपत्ति मिलने से पहले उसके पिता अल्फा की संपत्ति में से टैक्स काट लिया जाएगा. अगर एस्टेट टैक्स 20% है तो 200 करोड़ रुपये काट कर 800 करोड़ रुपये की संपत्ति बीटा को मिलेगी.

क्या होता है इनहेरिटेंस टैक्स? 

अमेरिका में लागू इनहेरिटेंस टैक्स उस संपत्ति पर लगने वाला टैक्स है, जो संपत्ति व्यक्ति अपनी मौत के बाद अपने नॉमिनी को देकर चला गया है.

मान लीजिए अल्फा अपनी 1000 करोड़ की संपत्ति अपने बेटे बीटा और बेटी गामा में आधी-आधी बांट कर गया हो तो दोनों को टैक्स भरना होता. अमेरिका में टैक्स में छूट की लिमिट भी होती है. कई जगहों पर पत्नी को टैक्स नहीं देना होता. कई जगहों पर बेटे-बेटी की तुलना में अगर नॉमिनी बहन भी है तो उसे ज्यादा टैक्स देना होता. यानी टैक्स की दर मृत व्यक्ति से नॉमिनी के रिश्ते पर निर्भर करती है.

एक समय में भारत में भी लागू था इनहेरिटेंस टैक्स

भारत में 1953 में एस्टेट टैक्स (डेथ टैक्स) के नाम से इनहेरिटेंस टैक्स को लागू किया गया था. हालांकि भारत में इनहेरिटेंस टैक्स को लेकर अमेरिका से अलग नियम थे. भारत में ये टैक्स अमीरों पर लगाया जाता था. वहीं मौत के वक्त संपत्ति की मार्केट वैल्यू देखी जाती थी और उस हिसाब से टैक्स लगाया जाता था.

भारत में इनहेरिटेंस टैक्स अलग-अलग स्लैब में लगाया जाता था. अधिकतम 85% इनहेरिटेंस टैक्स भारत में लागू था. मृतक की सभी संपत्ति को जोड़ा जाता था. खेत, जमीन, सोना, शेयर्स, गाड़ी, घर, बिजनेस, आदी.

अगर मृतक की कुल संपत्ति 20 लाख रुपये या इससे ज्यादा है तो उस पर 85% का टैक्स लगाया जाता था. अगर मृतक की संपत्ति का मूल्य 1 लाख रुपये है तो 7.5% टैक्स लगाया जाता था.

हालांकि, 1985 में राजीव गांधी की सरकार में वित्त मंत्री रहे वीपी सिंह (जो बाद में पीएम बने) इस टैक्स को खत्म कर दिया था.

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क्यों लगाया जाता है इनहेरिटेंस टैक्स? 

1953 में भारत सरकार ने पाया कि देश में धन (वेल्थ) को लेकर स्पष्ट असमानता है और तभी इस व्यवस्था को लागू किया गया. सरकार का मानना था कि इस व्यवस्था से असमानता में गिरावट आएगी क्योंकि किसी अमीर व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति का कुछ हिस्सा भारत सरकार को मिलेगा, जिससे संपत्ति का बंटवारा देश में दोबारा हो सकेगा.

इसके अलावा इसे लागू करने की वजह सरकार के टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी करना भी था.

भारत ने क्यों खत्म किया इनहेरिटेंस टैक्स?

ये टैक्स व्यवस्था तीन दशकों तक लागू रही. इस दौरान विपक्ष के साथ साथ कई अन्य वर्ग के लोगों ने इसकी आलोचना की.

ऐसे तो इसे खत्म करने के कई फैक्टर रहे होंगे. लेकिन ईटी की रिपोर्ट के अनुसार इसे इसलिए खत्म किया गया क्योंकि इससे समाज में न तो आर्थिक असमानता में कमी आई, न ही इसकी वजह से सरकार के खजाने को फायदा हुआ.

लेकिन 85% तक टैक्स वसूलने वाली इस व्यवस्था से वाकई सरकारी खजाने को फायदा नहीं हुआ?

  • 1983-84 के बजट के अनुसार सरकार इस व्यवस्था से केवल 20 करोड़ रुपये ही वसूल पाई.

  • 1980 के बजट के अनुसार, भारत सरकार ने टैक्स से 1979-80 के दौरान 11,447 करोड़ रुपये की कमाई की थी लेकिन इसमें इनहेरिटेंस से केवल 13 करोड़ रुपये की कमाई ही हुई थी, जो कुल टैक्स की कमाई का केवल 0.1% था.

  • इनहेरिटेंस टैक्स को वसूलने, जोड़ने की लागत बहुत ज्यादा थी, क्योंकि ये टैक्स व्यवस्था काफी जटिल थी.

दुनिया के कई देशों में इनहेरिटेंस टैक्स लागू आज भी लागू और कई देशों ने इस टैक्स को खत्म भी कर दिया है.

दुनिया के और किन देशों में लगता है इनहेरिटेंस टैक्स?

  • अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स लागू है, हालांकि पूरे देश में इस टैक्स को लागू नहीं किया गया है. अमेरिका के केवल 6 राज्यों में ही इनहेरिटेंस टैक्स लागू है. यहां 40% तक इनहेरिटेंस टैक्स लगाया जाता है.

  • यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) में भी इनहेरिटेंस टैक्स 40% तक लगाया जाता है.

  • फ्रांस में इनहेरिटेंस टैक्स 45% तक लगाया जाता है.

  • दक्षिण कोरिया में इनहेरिटेंस टैक्स 50% तक लगाया जाता है.

  • दुनिया में जापान ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा 55% तक इनहेरिटेंस टैक्स लगाया जाता है.

सैम पित्रोदा से पहले मोदी सरकार में बीजेपी मंत्री भी इनहेरिटेंस टैक्स का समर्थन कर चुके हैं  

मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले यूपीए-1 सरकार में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने इस टैक्स को लागू करने के लिए विचार-विमर्श शुरू करने की बात कही थी. वहीं यूपीए-2 सरकार में भी पी चिदंबरम ने एक बार फिर इस मुद्दे को छेड़ा था. हालांकि, 2014 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई.

वहीं 2014 की मोदी सरकार में वित्त राज्य मंत्री रहे जयंत सिन्हा भी इस टैक्स की तारीफ कर चुके हैं.

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