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सावधान! IT सेक्टर में इस बार पड़ सकते हैं नौकरियों के लाले

देश की बड़ी आईटी कंपनियां इस साल इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस हायरिंग में 40 फीसदी तक कटौती कर सकती हैं.

द क्विंट
बिजनेस
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(फोटो: istock)
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भारत में काफी सक्रिय आईटी कंपनी कॉग्निजेंट के कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है. कंपनी इस साल करीब 6 हजार कर्मचारियों की छंटनी कर सकती है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह आंकड़ा 10 हजार के करीब भी हो सकता है.

कॉग्निजेंट इसे सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा बता रही है और दूसरी कंपनियों का उदाहरण देते हुए यह भी कह रही है कि बाकी कंपनियां भी हर साल ऐसा करती हैं.

हालांकि कंपनी में इस बार कुछ ज्यादा ही कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है, जो कुल कर्मचारियों के 2 फीसदी से भी ज्यादा है.

यह हाल सिर्फ एक कंपनी का नहीं है. भारत की कई आईटी कंपनियां इस बार कर्मचारियों की नियुक्ति में या तो कंजूसी कर रही हैं या तो छंटनी का रास्ता अख्तियार कर रही हैं. ऐसे में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स के लिए आगे आने वाला समय चुनौतियों से भरा हो सकता है.

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की बड़ी आईटी कंपनियां इस साल इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस प्लेसमेंट में 40 पर्सेंट तक कटौती कर सकती हैं. मतलब साफ है कि बड़ी कंपनियों में काम करने का सपना संजोए इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों को इस बार जोर का झटका लग सकता है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 5 बड़ी कंपनियां टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, कॉग्निजेंट और एचसीएल टेक्नॉलजी ने इस बार करीब 60 हजार इंजीनियर्स को कैंपस से हायर किया. पिछली बार यह आंकड़ा 1 लाख से ज्यादा था.

आखिर कारण क्या है ?

टेक्नॉलजी सेक्टर में नौकरियों की संकट के कई कारण हैं. ऑटोमेशन के ज्यादा इस्तेमाल को भी छंटनी की एक खास वजह बताया जा रहा है. जानकार मानते हैं कि टेक्नॉलजी सेक्टर में निचले स्तर के काम को अब ऑटोमेशन के जरिए किया जा रहा है, जैसे टेस्टिंग और बेसिक कोड जेनेरेशन के लिए सॉफ्टवेयर्स हैं. इस कारण से भी कुछ लोगों की छंटनी हो रही है.

भारी संख्या में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट

देश में हर साल लाखों की संख्या में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट निकल रहे हैं. जॉब की संख्या इस लिहाज से काफी कम है, जिस कारण “इंजीनियरिंग डिग्री धारी” बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है.

वहीं जो लोग अभी कंपनियों में काम कर रहे हैं, उनमें से कई बदलती टेक्नॉलजी के साथ खुद को अपग्रेड नहीं कर पाते हैं, जिससे उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है.

कंपनियां मिड लेवल जॉब्स में भी कम सैलरी वाले उन कैंडिडेट्स को तवज्जो दे रही हैं, जो फ्रेशर होने के बावजूद किसी खास टेक्नॉलजी में सर्टिफिकेट और विशेषज्ञता रखते हैं.

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