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वोडाफोन-आइडिया का त्राहिमाम, क्यों बिड़ला सरकार को देना चाह रहे हिस्सेदारी तमाम?

Vodafone Idea: भारत की टॉप 3 टेलीकॉम कंपनियों में से एक की बर्बादी की पूरी कहानी

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बिजनेस
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<div class="paragraphs"><p>Kumar Mangalam Birla ने ऐसा खत क्यों लिखा? समझिए पूरा मामला</p></div>
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Kumar Mangalam Birla ने ऐसा खत क्यों लिखा? समझिए पूरा मामला

(फाइल फोटो: PTI)

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वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला (Kumar Mangalam Birla) ने केंद्र सरकार से कहा है कि वो कंपनी को बचाने के लिए अपनी 27 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को तैयार हैं. बिड़ला ने केंद्र को लिखे एक खत में कहा कि वो किसी भी पब्लिक सेक्टर, सरकारी या घरेलू वित्तीय कंपनी को अपनी हिस्सेदारी बेच सकते हैं.

कुमार मंगलम बिड़ला ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को ये खत लिखा है. बिड़ला ने कहा कि कंपनी कई निवेशकों से 25,000 करोड़ रुपये जमा करने की कोशिश में है, लेकिन उनमें से कई की मांग है कि उन्हें आश्वस्त किया जाए कि भारत सरकार 'तीन प्लेयर का टेलीकॉम बाजार' चाहती है.

बिड़ला VIL में 27 फीसदी हिस्सेदारी के मालिक हैं. वहीं, वोडाफोन Plc के पास 44 फीसदी हिस्सेदरी है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, VIL ने नहीं बताया कि कैबिनेट सचिवालय या टेलीकॉम मंत्रालय से बिड़ला को उनके खत का जवाब मिला है या नहीं.

कुमार मंगलम बिड़ला ने ऐसा खत क्यों लिखा? निवेशकों ने ऐसा आश्वासन क्यों मांगा? VIL की वित्तीय स्थिति क्या है? इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं.

खत क्यों लिखा गया?

वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) को अगले दस सालों में 60,000 करोड़ से ज्यादा के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) का भुगतान करना है. मतलब कि 2021 से 2031 के बीच हर तिमाही में करीब 1500 करोड़ रुपये चुकाने होंगे.

VIL का AGR बकाया सभी टेलीकॉम कंपनियों में सबसे ज्यादा है. इसके अलावा कंपनी पर विलंबित स्पेक्ट्रम दायित्व के तौर पर 96,270 करोड़ का भार है. साथ ही 31 मार्च 2021 तक कंपनी पर बैंकों का 23,000 करोड़ का कर्ज है.

कुमार मंगलम बिड़ला और वोडाफोन दोनों ही VIL में पूंजी लगाने से इनकार कर चुके हैं. इसलिए बिड़ला ने केंद्र सरकार से कहा है कि AGR, स्पेक्ट्रम पेमेंट पर मोरेटोरियम और फ्लोर प्राइसिंग के मुद्दे पर 'तुरंत सक्रिय समर्थन' के बिना टेलीकॉम कंपनी 'पतन के अपूरणीय स्थान' पर पहुंच जाएगी.

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VIL की वित्तीय स्थिति क्या है?

वोडाफोन आइडिया लिमिटेड की नेट वर्थ नेगेटिव में चली गई है और कंपनी लगातार नुकसान उठा रही है. कंपनी ने पिछले पांच सालों में एक साथ 1.37 लाख करोड़ खो दिए हैं. नतीजतन VIL की FY16 में जो नेट वर्थ 24,000 करोड़ थी, वो FY21 में नेगेटिव 38,000 करोड़ पहुंच गई है. FY21 में VIL को 44,200 करोड़ का कुल नुकसान हुआ था.

VIL ने अप्रैल 2019 में अपने शेयरहोल्डर और प्रमोटर से राइट्स इशू के जरिए 25,000 करोड़ रुपये जमा किए थे. बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, इस साल मार्च में कंपनी के पास कैश और बैंक बैलेंस मिलाकर सिर्फ 2,200 करोड़ रुपये थे.

फंडरेजिंग का क्या होगा?

बिड़ला ने अपने खत में निवेशकों की तरफ से मांगे गए आश्वासन का जिक्र किया है. जियो इंफोकॉम के आने के बाद से टेलीकॉम सेक्टर में कम टैरिफ का दौर आया था, जिसकी वजह से कई प्राइवेट कंपनियों को दुकान बंद करनी पड़ी थी. सिर्फ VIL और एयरटेल ही दो प्राइवेट प्लेयर बचे हैं. एयरटेल की स्थिति VIL के मुकाबले फिर भी ठीक है.

आरोप लगते रहे हैं कि सरकार की मदद से जियो इंफोकॉम टेलीकॉम बाजार में मोनोपली करना चाहती है. ये आश्वासन भी इसी सिलसिले में मांगा गया लगता है.

हालांकि, नेगेटिव नेट वर्थ और भारी नुकसान की वजह से निवेशकों से पैसा मिलना मुश्किल लगता है. बिड़ला और वोडाफोन पहले ही पैसा लगाने से मना कर चुके हैं. VIL में हो रहे नुकसान की वजह से आदित्य बिड़ला समूह की बाकी कंपनियों पर भी असर पड़ सकता है. इसलिए कुमार मंगलम बिड़ला VIL में नुकसान कम करके कैपिटल को फायदेमंद बिजनेस की तरफ लगाना चाहते हैं.

AGR ने किया बंटाधार

AGR विवाद के बाद से टेलीकॉम सेक्टर की हालत और पतली हो गई है. AGR कैलकुलेशन को लेकर टेलीकॉम विभाग और टेलीकॉम कंपनियों के बीच विवाद था. टेलीकॉम विभाग का कहना था कि AGR कंपनी की कुल आय पर लगना चाहिए. मतलब ब्याज से कमाई, एसेट बिक्री से कमाई जैसे नॉन टेलीकॉम आय पर भी टैक्स लगना चाहिए.

वहीं टेलीकॉम कंपनियों का कहना था कि AGR का कैलकुलेशन सिर्फ टेलीकॉम सर्विसेज से होने वाली आय के आधार पर होना चाहिए न कि पूरी आय पर. कंपनियों और टेलीकॉम विभाग के बीच ये विवाद 2005 से चला आ रहा है तब टेलीकॉम कंपनियों के संगठन ने टेलीकॉम विभाग के दावे को चुनौती दी थी. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.

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