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लक्ष्मी विलास बैंक की बर्बादी के लिए RBI जिम्मेदार: कर्मचारी संगठन

AIBEA का कहना है कि बैंक के पतन के पीछे बैंक का मैनेजमेंट जिम्मेदार है

स्मिता टी के
बिजनेस
Updated:
(Photo Courtesy: Smitha TK/ The Quint)
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(Photo Courtesy: Smitha TK/ The Quint)

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ऑल इंडिया बैंक एम्पलॉइज असोसिएशन (AIBEA) के महासचिव C H वैंकटचेलम का कहना है कि 'रिजर्व बैंक को क्यों नहीं अंदाजा था कि ऐसा होने वाला है. वो लगातार बैंक के ऑडिट करते रहते हैं. उनको लक्ष्मी विलास बैंक को चेतावनी देनी चाहिए थी कि सावधान रहें.'

AIBEA का कहना है कि बैंक के पतन के पीछे बैंक का मैनेजमेंट भी जिम्मेदार है जिन्होंने 2,000 करोड़ रुपये के लोन रेलीगेयर, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, नीरव मोदी ग्रुप, कॉफी डे एंटरप्राइजेज, रिलायंस हाउंसिंग फाइनेंस को दिए.

18 नवंबर को अचानक खबर आई कि लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने के लिए मॉरेटोरियम लगा दिया गया है और बैंक से निकासी की सीमा घटाकर 25,000 रुपये कर दी गई है. साथ ही लक्ष्मी विलास बैंक का विलय डीबीएस इंडिया के साथ कराया जाना है. इसके पहले यस बैंक और पीएमसी बैंक में भी इसी तरह की स्थिति देखने को मिल चुकी है. दोनों बैंक डूबने के कगार पर आ गए थे.

'RBI से सवाल बनता है'

AIBEA ने मांग की है कि पूरे मामले की अच्छे से जांच होनी चाहिए और आरबीआई की भूमिका को परखा जाना चाहिए. असोसिएशन का कहना है कि जब आरबीआई को पता था कि बैंक को लगातार घाटा हो रहा है और बैंक संकट में है तो आरबीआई ने तभी कोई कदम क्यों नहीं उठाए.

क्विंट से बात करते हुए C H वैंकटचेलम कहते हैं कि 'आरबीआई बैंकों का डॉक्टर है उसको पता होता है कि किस मरीज को किस दवा की जरूरत है. लेकिन आरबीआई ने सीधा डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया.'

बता दें कि आरबीआई ने बैंक के बोर्ड को भी एक महीने के लिए दरकिनार कर दिया है और कैनरा बैंक के पूर्व नॉन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन टीनएन मनोहरन को एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया है. एडमिनिस्ट्रेटर ने बैंक की वित्तीय हालात के बारे में जानकारी दी. बताया गया कि फिलहाल बैंक के 4100 कर्मचारी हैं और बैंक कीं 563 ब्रांच कामकाज कर रही हैं. पिछले सालों में बैंक को हुए भारी घाटे की वजह से बैंक की एसेट क्वालिटी पर असर हुआ है. बैंक को सितंबर 2019 में प्रॉम्प्ट करेक्टिन एक्शन (PCA) में भी डाला गया था.

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(Photo Courtesy: All India Bank Employees Association)

AIBEA ने बैंक के मैनेजमैंट को भी बैंक की बर्बादी के लिए जिम्मेदार माना है.

बता दें कि लक्ष्मी विलास बैंक की स्थापना 1926 में तमिलनाडु में हुई थी. इसके बाद बैंक ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, नई दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात और कोलकाता में भी अपनी ब्रांच खोल लीं. पिछले 3 साल से बैंक कई सारे वित्तीय संकटों से गुजर रहा था, साथ ही बैंक में गर्वनेंस के भी इशू थे. आखिरकार अब आरबीआई ने फैसला किया है कि डीबीएस इंडिया बैंक के साथ लक्ष्मी विलास बैंक का मर्जर किया जाएगा.

'लोगों का बैंकिंग सिस्टम से भरोसा उठा जाएगा'

क्विंट ने बैंक के कुछ कस्टमर्स से भी बात की उन्होंने बताया कि बैंक पर मोरेटोरियम लगने की खबर सुनने के बाद उनको झटका लग गया.

"हम बहुत ही साधारण और मिडिल क्लास परिवार से हैं. हमें सिर्फ 25000 रुपये निकालने की छूट दी गई है. लेकिन अब इस बैंक में अपने पैसे भविष्य में रखने को लेकर हम चिंतित हैं."

हालांकि एडमिनिस्ट्रेटर ने आश्वस्त किया है कि मोरेटोरियम खत्म होने से पहले बैंक को संकट से निकालने की ठोस योजना तैयार की जाएगी. लेकिन उसके पहले ही बैंक की ब्रांच और एटीएम पहले की तरह काम करना शुरू कर देंगे, ये प्राथमिकता पर किया जाएगा.

एडमिनिस्ट्रेटर ने कहा है कि वो रिजर्व बैंक के साथ लगातार संपर्क में है और सुनिश्चित कर रहे हैं कि कैश की कमी न आए. बैंक को पूरा विश्वास है कि वो कस्टमर्स के द्वारा सीमा के तहत जो भी निकासी की मांग की जाएगी उसको पूरा करेंगे.

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Published: 19 Nov 2020,10:10 PM IST

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