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महाराष्ट्र में रियल एस्टेट सेक्टर में नई जान फूंकने के मकसद से राज्य सरकार ने प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शंस पर स्टांप ड्यूटी घटाने का एलान किया है. स्टांप ड्यूटी में ये कमी 1 सितंबर 2020 से लेकर अगले साल 31 मार्च तक लागू रहेगी. ये कमी दो स्लैब्स में होगी. 1 सितंबर से 31 दिसंबर 2020 यानी 4 महीने तक स्टांप ड्यूटी में 3 परसेंट की कटौती होगी. वहीं 1 जनवरी से 31 मार्च 2021 तक के 3 महीने के दौरान ये कटौती 2 परसेंट की होगी. महाराष्ट्र में मुंबई, पुणे, नागपुर और नासिक में प्रॉपर्टी पर स्टांप ड्यूटी 5 परसेंट और बाकी शहरों में 6 परसेंट है.
इकनॉमी में मंदी की वजह से पहले से ही कई तरह की दिक्कतें झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर पर कोरोना वायरस की मार बहुत तेज पड़ी है. सेक्टर की तरफ से इस बात की मांग भी की जा रही थी कि सरकार स्टांप ड्यूटी में राहत दे. वैसे, महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने मार्च में अपने पहले बजट में भी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन पर स्टांप ड्यूटी में 1 परसेंट की कटौती करते हुए इसे 5 परसेंट पर ला दिया था. हालांकि ये कटौती सिर्फ एमएमआर (मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन) और पुणे के लिए थी. एमएमआर में मुंबई, नवी मुंबई और ठाणे को शामिल किया जाता है.
राज्य सरकार के ताजा एलान के बाद रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स और डेवलपर्स को उम्मीद है कि ठंडे पड़े प्रॉपर्टी बाजार में रौनक लौट सकेगी. महाराष्ट्र में एमएमआर और पुणे देश के बड़े प्रॉपर्टी बाजारों में गिने जाते हैं. रियल एस्टेट कंसल्टेंसी लाइसेज फोराज के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज कपूर का मानना है कि इस कदम से प्रॉपर्टी बाजार में मांग को बढ़ावा मिलेगा. ब्लूमबर्ग क्विंट से बातचीत में पंकज कपूर ने कहा, “प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में प्री-कोविड लेवल के मुकाबले एमएमआर में 31 परसेंट और पुणे में 35 परसेंट की गिरावट आई है. राज्य सरकार के इस कदम के बाद अगर केंद्र सरकार घर खरीदारों के लिए इंटरेस्ट एक्जेंप्शन की लिमिट भी बढ़ा देती है तो इससे मांग में निश्चित रूप से तेजी आएगी.“
देश भर में प्रॉपर्टी मार्केट के लिए कारोबारी साल 2020-21 की पहली तिमाही बेहद खराब रही है. ये वही तिमाही थी जिसमें कोविड-19 की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लागू था और आर्थिक गतिविधियां बेहद सीमित हो गई थीं. प्रॉपर्टी एडवाजरी पोर्टल प्रॉपटाइगर की रिपोर्ट के मुताबिक इस तिमाही में देश के टॉप 8 प्रॉपर्टी बाजारों में बिक्री पिछले साल के मुकाबले 79 परसेंट नीचे आई. इस दौरान इन शहरों में 19 हजार से कुछ ही ज्यादा घर बिके, जबकि पिछले साल के इन तीन महीनों में करीब 93 हजार घर बिके थे.
महाराष्ट्र के सबसे बड़े प्रॉपर्टी मार्केट मुंबई में इस तिमाही में नए लॉन्च पिछले साल के मुकाबले 91 परसेंट कम हुए. प्रॉपटाइगर की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान एमएमआर में प्रॉपर्टी बिक्री में 85 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई. अप्रैल से जून के तीन महीनों में यहां 4560 यूनिट्स बिके, जिनमें से 40 परसेंट से ज्यादा यूनिट की कीमत 45 लाख रुपए से कम थी. एमएमआर में इस वजह से अनसोल्ड रेसिडेंशियल यूनिट काफी बड़ी तादाद में दिख रहे हैं. इस वक्त यहां 2.76 लाख से ज्यादा यूनिट खरीदारों का इंतजार कर रहे हैं. ये भारत के टॉप 8 प्रॉपर्टी मार्केट की अनसोल्ड इन्वेंटरी का लगभग 37 परसेंट है. और अगर बिक्री में कोई तेजी नहीं आई तो इस स्टॉक को क्लियर होने में 40 महीने का समय लग जाएगा.
महाराष्ट्र के दूसरे बड़े प्रॉपर्टी मार्केट पुणे की हालत भी कमोबेश ऐसी ही है. प्रॉपटाइगर की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल-जून 2020 की तिमाही में यहां नए लॉन्च 92 परसेंट घटे और केवल 1250 यूनिट के हुए. वैसे, यहां नए लॉन्च में पिछली चार तिमाहियों से लगातार गिरावट ही देखी जा रही थी. खरीदारों की मांग में पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले 74 परसेंट की गिरावट आई और केवल 4,900 यूनिट बिके. हालांकि नए लॉन्च कम होने की वजह से पुणे में अनसोल्ड इन्वेंटरी लेवल में गिरावट आई है, और यहां 1.35 लाख यूनिट ग्राहकों के इंतजार में हैं. प्रॉपर्टी खरीदारों का मौजूदा रूझान जारी रहा तो इस इन्वेंटरी को खरीदार मिलने में करीब 30 महीनों का समय लग सकता है.
जहां तक प्रॉपर्टी कीमतों की बात है तो देश के इन तीनों बड़े बाजारों में कीमतें करीब-करीब पिछले साल के स्तर पर ही हैं. प्रॉपटाइगर के मुताबिक मुंबई और दिल्ली-एनसीआर में रेसिडेंशियल यूनिट्स की औसत कीमतें पिछले साल भर में 1 परसेंट बढ़ी हैं, जबकि पुणे में ये बढ़ोतरी 2 परसेंट की है. मुंबई में औसत कीमत है 9490 रुपए प्रति स्क्वैयर फीट, जबकि पुणे में औसत कीमत 4,951 रुपए है. दिल्ली-एनसीआर में औसत कीमत पुणे से भी कम है, 4,293 रुपए प्रति स्क्वैयर फीट.
राज्य सरकारों के लिए प्रॉपर्टी पर स्टांप ड्यूटी उनकी कमाई का बड़ा स्रोत है. ऐसे में अगर नए घरों की बिक्री में तेजी आती है तो इससे राज्य सरकारों को स्टांप ड्यूटी से कमाई तो होगी ही, साथ ही रेसिडेंशियल डेवलपमेंट के काम में आई तेजी का फायदा राज्यों की पूरी इकोनॉमी को भी होगा. डेवलपर्स ने भी पिछले कुछ महीनों के दौरान कैशबैक और फ्लेक्सिबल पेमेंट जैसी स्कीमें शुरू की हैं, ताकि खरीदारों को लुभाया जा सके.
इस वक्त होम लोन पर इंटरेस्ट रेट भी देश में अपने सबसे निचले स्तर पर हैं, और प्रॉपर्टी खरीदने की लागत काफी कम हो चुकी है. महाराष्ट्र में स्टांप ड्यूटी कम होने के बाद ये लागत और भी नीचे आ जाएगी. 31 दिसंबर तक अगर आप राज्य में 1 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो ये लागत 3 लाख रुपए घट जाएगी. और, अगर आप जनवरी से मार्च तक की अवधि में प्रॉपर्टी खरीदने का फैसला करते हैं तो आपकी अतिरिक्त बचत 2 लाख रुपए की होगी. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अगर आप अपने इस्तेमाल के लिए घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपको सिर्फ ड्रीम होम नहीं बल्कि साथ में ड्रीम डील भी मिल सकती है.
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