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जरा अंदाजा लगाइए. किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल में शेयर बाजार ने पैसा लगाने वालों की ज्यादा कमाई कराई, नरेंद्र मोदी या मनमोहन सिंह? अगर आपको कोई दुविधा हो, तो बता दें कि मनमोहन सिंह इस मामले में नरेंद्र मोदी से आगे ही नहीं, बहुत आगे थे.
शेयर बाजार के उछाल के मामले में अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी, दोनों से आगे निकले डॉक्टर मनमोहन सिंह.
अटल बिहारी वाजपेयी 1998 से 2004 के बीच 6 साल प्रधानमंत्री रहे. इस दौरान 50 बड़े शेयरों वाला निफ्टी-50 इंडेक्स में 41 परसेंट उछला. मतलब जिन निवेशकों ने 1998 में इसमें एक लाख रुपए लगाए, वो 2004 में 1,41,000 रुपए ले गए. इसमें ज्यादातर कमाई तो 1998 से 1999 के बीच हुई.
इन 5 साल को शेयर बाजार का गोल्डन पीरियड माना जाता है. इस दौरान निवेशकों पर धन की जमकर बारिश हुई. इस दौरान निफ्टी 50 में 170 परसेंट कमाई हुई. यानी निवेशकों की कमाई पौने तीन गुना बढ़ गई.
'डॉक्टर साहब' ने दूसरी टर्म में भी पैसा कमाने वालों को निराश नहीं किया. दूसरे 5 साल में तमाम विवादों और ग्लोबल आर्थिक संकट के बावजूद निवेशकों की 73 परसेंट कमाई हुई.
नरेंद्र मोदी इस कार्यकाल में मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में हुई कमाई से मामले में भी बहुत पीछे हैं. डॉक्टर सिंह के पहले कार्यकाल में निफ्टी-50 की बंपर 170 परसेंट कमाई हुई थी. उनके दूसरे कार्यकाल में भी ये कमाई 73 परसेंट रही.
लेकिन मोदी के अब तक 4.5 साल में शेयर बाजार (निफ्टी-50) में निवेशकों की रकम 47 परसेंट ही बढ़ी है. यानी अगर आपने 2014 में मोदी सरकार के बनते ही निफ्टी-50 में 1,00,000 लगाए होते, तो दिसंबर 2018 में वो 1,47,000 रुपए होते.
नरेंद्र मोदी का मौजूदा कार्यकाल अब सिर्फ 5 महीने ही बचा है. वो मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल में निफ्टी-50 की 170 परसेंट कमाई के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ सकते. लेकिन क्या वो मनमोहन सिंह की दूसरे कार्यकाल में निफ्टी-50 की 73 परसेंट कमाई के रिकॉर्ड को तोड़ पाएंगे?
ग्लोबल इकनॉमिक और घरेलू राजनीतिक माहौल देखते हुए निफ्टी तेजी छोड़िए, बल्कि गिरावट का खतरा दिख रहा है.
(इनपुट ब्लूमबर्ग क्विंट)
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