Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019अगले 90 दिनों में किस सेक्टर में होगी सबसे ज्यादा नौकरियां? 

अगले 90 दिनों में किस सेक्टर में होगी सबसे ज्यादा नौकरियां? 

अगर रुपये में तेजी जारी रही, तो सर्विस सेक्टर के न सिर्फ एक्सपोर्ट पर,बल्कि पूरे कारोबार पर बुरा असर पड़ सकता है.

क्‍व‍िंट कंज्यूमर डेस्‍क
बिजनेस
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(फोटो: iStock)
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कॉरपोरेट इंडिया कैलेंडर ईयर 2017 की दूसरी तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच लोगों की भर्तियां तो करेगा, लेकिन ये भर्तियां 11 सालों के सबसे निचले स्तर पर होंगी.

मैनपावर ग्रुप के इंडिया एंप्लॉयमेंट आउटलुक सर्वे के मुताबिक, अप्रैल-जून 2017 की अवधि में नेट एंप्लॉयमेंट आउटलुक सिर्फ 18 परसेंट है. दूसरे शब्दों में समझें, तो सिर्फ 18 परसेंट एंप्लॉयर्स या कंपनियों में ही नई नौकरी के मौके इस तिमाही में मिलेंगे.

इस सर्वे में देशभर से करीब पांच हजार एंप्लॉयर्स को शामिल किया गया था, जिसमें से 19 परसेंट ने माना कि नई भर्तियां बढ़ेंगी, 1 परसेंट ने माना कि नई भर्तियां घटेंगी, जबकि 68 परसेंट ने कहा कि उनके कर्मचारियों की तादाद में कोई बदलाव नहीं आएगा.

पिछले साल इसी तिमाही में 48 परसेंट एंप्लॉयर्स ने नई भर्तियों में बढ़त की उम्मीद जताई थी, जबकि 9 परसेंट ने कर्मचारियों की तादाद घटने की बात कही थी.
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नौकरियों के मौके घटने की दो मुख्य वजहें हैं- दुनियाभर की इकोनॉमी की धीमी रफ्तार और कंपनियों में ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बढ़ता फोकस.

गौरतलब है कि देश की दिग्गज आईटी कंपनियां- इंफोसिस, टीसीएस, कॉग्निजैंट वगैरह, जो बड़े पैमाने पर नई भर्तियां भी करती हैं, अब क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और ऑटोमेशन पर जोर बढ़ा रही हैं और इनकी नई भर्तियों में गिरावट आने लगी है. और तो और, कुछ समय पहले तक सुपरहिट समझी जा रही इंडियन स्टार्टअप ग्रोथ स्टोरी की चमक भी खोती जा रही है.

पिछले कुछ हफ्तों में स्नैपडील और स्टेजिला जैसी कंपनियों से आई निगेटिव खबरों ने स्टार्टअप पर भरोसे को और कम किया है. नतीजा है कि देश के सर्विस सेक्टर में अप्रैल-जून तिमाही में नई भर्तियां 8 साल के निचले स्तर पर पहुंच सकती हैं. पिछले साल सर्विस सेक्टर में नेट एंप्लॉयमेंट आउटलुक जहां 41 परसेंट था, इस साल ये सिर्फ 22 परसेंट है. (देखें ग्राफिक्स) दूसरे सेक्टरों जैसे फाइनेंस, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, एजुकेशन में भी नेट एंप्लॉयमेंट आउटलुक पहले से कमजोर हुआ है.

नई नौकरियों के लिए एक खतरा और भी है, जो चुपके-चुपके दस्तक दे रहा है. ये है लगातार मजबूत होता रुपया, जो अक्टूबर 2015 के बाद अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर पहुंच गया है. विधानसभा चुनावों में बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में चौथाई परसेंट की बढ़ोतरी करने और आगे अपने रुख में नरमी दिखाने के फैसले ने रुपये को और मजबूती दे दी.

सिर्फ तीन दिनों में 1.7% बढ़ोतरी के साथ इस साल रुपया अब तक डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाने वाली एशिया की तीसरी सर्वश्रेष्ठ करेंसी बन गया है. इस साल रुपये में अब तक डॉलर के मुकाबले 3.4% की बढ़ोतरी हो चुकी है. मुद्रा बाजार के जानकार मानते हैं कि रुपये का ये अधिमूल्यन अभी थोड़े समय तक जारी रहेगा और ये डॉलर के मुकाबले 64.65 के स्तर तक जा सकता है.

रुपये में आ रही यही अचानक तेजी आईटी और फार्मा कंपनियों समेत सभी एक्सपोर्टर्स के लिए चिंता की बात है. 15 मार्च को ये चिंता शेयर बाजार में भी दिखी, जब आईटी कंपनियों के शेयर 3% तक गिर गए. निफ्टी का आईटी इंडेक्स इस दिन गिरने वाला इकलौता सेक्टर इंडेक्स था, जिसमें करीब 2% की गिरावट आई थी. चढ़ता रुपया सभी एक्सपोर्टर्स के लिए सरदर्द होता है, क्योंकि इससे उनके प्रोडक्ट और सर्विसेज अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे हो जाते हैं.

लेकिन आईटी कंपनियों के लिए मुश्किल इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि उनका मार्जिन रुपये की चाल पर काफी निर्भर करता है. हाल ही में आए व्यापार आंकड़े दिखाते हैं कि देश से एक्सपोर्ट में सुधार दिखने लगा है. फरवरी में लगातार छठे महीने एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी हुई है और ये पिछले साल फरवरी के मुकाबले 17.5% बढ़ा है.

लेकिन सर्विस सेक्टर की एक्सपोर्ट ग्रोथ लगातार घट रही है जो चिंताजनक है. सर्विस सेक्टर की ग्रोथ में लगातार नवें महीने गिरावट दिखी है और ये 10% पर सिमट गई है. अगर रुपये में तेजी जारी रही तो सर्विस सेक्टर के न सिर्फ एक्सपोर्ट पर, बल्कि पूरे कारोबार पर बुरा असर पड़ने की आशंका है. और अगर ऐसा हुआ, तो मैनपावर का नेट एंप्लॉयमेंट आउटलुक भले ही 18% हो, आईटी और इससे जुड़े सेक्टरों में नौकरी के मौके बढ़ने के बजाय घटने लगेंगे.

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Published: 17 Mar 2017,09:48 AM IST

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