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दुनिया के दो कॉरपोरेट दिग्गज. दोनों दुनिया की रिच लिस्ट में. दोनों दुनिया में हर कीमत पर छा जाना चाहते हैं, खासकर डिजिटल दुनिया में. दोनों ने अब हाथ मिला लिया है. जाहिर है जब मुकेश अंबानी और मार्क जकरबर्ग साथ आएंगे तो कुछ बड़ा करेंगे. इतना बड़ा कि इससे भारत में ऑनलाइन लेनदेन, शॉपिंग, गेमिंग, मनोरंजन और कारोबार का तरीका बदल सकता है. एक की ताकत बड़ा यूजर बेस है, तो दूसरे पास बड़ा सब्सक्रिप्शन बेस है.
दोनों की कार्यशैली ऐसी है कि दुनिया चकित हो जाती है. वक्त से पहले वक्त की धारा को पकड़ने के उस्ताद मुकेश अंबानी ने जब भारत में जियो को लॉन्च किया, तो लाखों के लिए मोबाइल और इंटरनेट अफोर्डेबल हो गया. उन्होंने इस सेक्टर में समय और पैसे के बड़े निवेश के फायदे देखे. आज जियो से बचने के लिए प्रतियोगी कंपनियां रास्ता खोज रही हैं.
मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर और बड़े शेयरहोल्डर हैं. रिलायंस तेल से लेकर, टेलीकॉम और ऑनलाइन शॉपिंग तक में बड़ा हस्तक्षेप रखती है.10 लाख करोड़ से ज्यादा मार्केट कैप है.
दूसरी तरफ मार्क जकरबर्ग वो शख्स जिसने फेसबुक बनाकर मॉडर्न दुनिया कैसे एक दूसरे से बातचीत करती है, इसका तरीका बदल दिया. WhatsApp से चुनौती मिली, तो उसे भी खरीद लिया. यानी हम अपने दोस्तों, पड़ोसियों और समाज से ज्यादातर जो बातचीत करते हैं, वो मार्क जकरबर्ग के प्लैटफॉर्म पर करते हैं.
इंस्टाग्राम की पेरेंट कंपनी भी फेसबुक ही है. 2004 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फेसबुक की शुरुआत करने वाले मार्क जकर्बग आज दुनिया के टॉप 10 अमीर लोगों में से एक हैं. जकरबर्ग, 2010 से लगातार टाइम मैगजीन के 100 सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शामिल हो रहे हैं. 2015 में, जकरबर्ग और उनकी पत्नी, प्रिसिला चान ने फेसबुक की 99% हिस्सेदारी दान देने का फैसला किया था.
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