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म्युचुअल फंड में रेगुलर से बेहतर है डायरेक्ट प्लान, जानिए क्यों?

2013 के बाद से रेगुलर प्लान से डायरेक्ट में स्विच करने वाले निवेशक लगातार बढ़ रहे हैं.

बिजनेस डेस्क
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म्युचुअल फंड में निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है और हर दिन नए निवेशक इससे जुड़ते जा रहे हैं
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म्युचुअल फंड में निवेश लगातार बढ़ता जा रहा है और हर दिन नए निवेशक इससे जुड़ते जा रहे हैं
(फोटो: iStock)

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म्युचुअल फंड में निवेश के बारे में सोच रहे हैं या पहले से ही इसमें निवेश करते हैं तो भी आपके लिए ये जानना जरूरी है कि एक डायरेक्ट प्लान क्यों बेहतर साबित हो सकता है. 2013 में म्युचुअल फंड हाउसों ने डायरेक्ट प्लान लॉन्च करने शुरू किए थे, जिनके बाद रोजाना रेगुलर प्लान से डायरेक्ट में स्विच करने वाले निवेशक बढ़ रहे हैं. सबसे पहले ये समझें कि डायरेक्ट प्लान रेगुलर से अलग कैसे है. म्युचुअल फंड के रेगुलर प्लान में आप जो भी पैसे लगाते हैं उसमें से कुछ हिस्सा ब्रोकर्स को कमीशन के रूप में मिलता है. जबकि डायरेक्ट प्लान में ऐसा कोई कमीशन नहीं होता. तो इसका फर्क ये पड़ता है कि म्युचुअल फंड की एक ही स्कीम के डायरेक्ट प्लान का रिटर्न रेगुलर प्लान से ज्यादा मिलता है. (देखें ग्राफिक्स के जरिए)

(फोटो: Quint Hindi)

रेगुलर से डायरेक्ट प्लान में क्यों करें स्विच?

आप देख सकते हैं कि हर म्युचुअल फंड के डायरेक्ट प्लान में मिलने वाला सालाना रिटर्न रेगुलर प्लान के मुकाबले 1-2% ज्यादा है. दरअसल डायरेक्ट प्लान सीधे फंड हाउस से खरीदे जाते हैं और इनमें कोई ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर नहीं होता इसलिए ब्रोकर का कमीशन बच जाता है और निवेश की राशि बढ़ जाती है जिसका फायदा ज्यादा रिटर्न के रूप में मिलता है. सालाना रिटर्न में आपको भले ही 1-2% का मामूली अंतर दिखता हो, लेकिन अगर कोई निवेशक 15-20 साल की अवधि के लिए लगातार निवेश कर रहा हो तो ये मामूली अंतर लाखों का अंतर ले आता है.

(फोटो: Quint Hindi)

सिर्फ 1 प्रतिशत का अंतर 20 साल के बाद आपको मिलने वाली राशि में 5 लाख रुपए से ज्यादा का फर्क ले आता है. और अगर निवेश की राशि बड़ी हो तो ये फर्क और भी बढ़ेगा.

कैसे करें स्विच?

1. अगर आप ऑनलाइन म्युचुअल फंड ट्रांजैक्शन के लिए फंड हाउस के साथ रजिस्टर्ड हैं:

- अपने म्युचुअल फंड अकाउंट में लॉगइन करें.

- ट्रांजैक्शन पेज पर जाएं और स्विच ऑप्शन चुनें.

- इसके बाद ‘स्विच फ्रॉम’ ड्रॉप-डाउन में उस फंड का नाम चुनें जिसे आप स्विच करना चाहते हैं.

- इसके बाद ‘स्विच टू’ ऑप्शन में जाकर उसी फंड का डायरेक्ट प्लान चुनें.

2. अगर आप ऑनलाइन फंड ट्रांजैक्शन नहीं करते हैं:

- संबंधित म्युचुअल फंड ऑफिस जाएं.

- स्विच फॉर्म लें, उसमें फोलियो नंबर और फंड स्कीम का नाम भरें.

- दस्तखत करके जमा कर दें.

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अगर आप किसी ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर या डीमैट अकाउंट के माध्यम से म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आप डायरेक्ट फंड में स्विच नहीं कर पाएंगे. स्विच करने के लिए आपको इंडिविजुअल म्युचुअल फंड की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करना होगा या फिर उस म्युचुअल फंड के ऑफिस में जाकर फॉर्म भरना होगा.

स्विच के पहले ये बातें ध्यान में रखें:

- भले ही आप एक म्युचुअल फंड के रेगुलर से डायरेक्ट प्लान में स्विच कर रहे हों, ये ट्रांजैक्शन पुराने निवेश को बेचकर नया निवेश करना माना जाएगा.

- अगर आप एक तय निवेश अवधि से पहले स्विच कर रहे हों तो एक्जिट लोड भी लग सकता है. इक्विटी फंड के लिए एक साल से पहले निवेश निकालने पर आम तौर पर 1 प्रतिशत का एक्जिट लोड लगता है. डेट फंड में भी एक्जिट लोड 2 प्रतिशत तक होते हैं. तो बेहतर होगा कि स्विच करने के पहले एक्जिट लोड के बारे में पता लगा लें.

- स्विच करने पर आप कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में भी आ जाते हैं. अगर इक्विटी फंड में स्विचिंग एक साल के पहले की होगी तो कैपिटल गेन पर 15% टैक्स देना होगा, साल भर के बाद कोई टैक्स नहीं लगता. डेट फंड में तीन साल से पहले स्विच करने पर हुए कैपिटल गेन पर स्लैब के मुताबिक टैक्स देना होगा. तीन साल से ज्यादा रखने के बाद स्विच किया हो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ 20% टैक्स देना होगा.

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