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भारत में म्यूचुअल फंड के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट यानी एयूएम ने 20 लाख करोड़ का रिकॉर्ड पार कर लिया है. सोना और रियल एस्टेट जैसे फिजिकल एसेट्स के बजाय अब निवेशकों की दिलचस्पी म्यूचुअल फंड जैसे फाइनेंशियल एसेट्स में बढ़ने लगी है.
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एम्फी के जारी मासिक आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में कुल एयूएम 3 फीसदी बढ़कर 20.6 लाख करोड़ हो गया है. इस कैलेंडर वर्ष में अब तक कुल निवेश 2.47 लाख करोड़ का हो चुका है. इसकी तुलना में पूरे 2016 में 2.83 करोड़ रुपए का निवेश आया था.
भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के एसेट्स पिछले तीन सालों में दोगुने हो चुके हैं. मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर के कौस्तुभ बेलापुरकर के मुताबिक इसकी वजह हैं इक्विटी और बैलैंस्ड फंड में आ रहा मोटा निवेश, और छोटे और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल इन्वेस्टरों की बढ़ती भागीदारी. अगस्त 2014 में इंडस्ट्री ने 10 लाख करोड़ का आंकड़ा पार किया था.
बेलापुरकर के मुताबिक नोटबंदी के बाद संगठित अर्थव्यवस्था की तरफ पैसे ज्यादा जाने से भी म्यूचुअल फंड निवेश का एक आकर्षक जरिया बना है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की एक स्टडी में भी पिछले साल नवंबर में पुराने नोटों पर पाबंदी के बाद बचत के संगठित तरीकों जैसे म्यूचुअल फंड और जीवन बीमा पॉलिसी में लोगों का रुझान बढ़ने की तरफ ध्यान दिलाया गया था.
31 अगस्त 2017 तक कुल एसेट्स में 42 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है इनकम फंड का, इक्विटी फंड करीब 28 फीसदी हैं वहीं लिक्विड फंड और मनी मार्केट फंड का हिस्सा है 17 फीसदी. बाकी हिस्से में आते हैं बैलैंस्ड फंड, ईटीएफ, गिल्ट फंड और इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम.
एम्फी के आंकड़े दिखाते हैं कि जुलाई 2017 में इंडस्ट्री के कुल एसेट्स में रिटेल निवेशकों का हिस्सा था 48.1 फीसदी, जबकि संस्थागत निवेशकों ने 51.9 फीसदी हिस्सेदारी के साथ बढ़त बना रखी थी. यही नहीं, इंडिविजुअल निवेशकों ने ज्यादातर इक्विटी ओरिएंटेड स्कीमों में पैसे लगाए हैं जबकि संस्थागत निवेशकों का ज्यादा निवेश लिक्विड और डेट ओरिएंटेड स्कीमों में है.
एक महीने पहले के मुकाबले इक्विटी में निवेश 60 फीसदी बढ़कर 19,515 करोड़ रुपए हो गया. आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के सीईओ ए. बालसुब्रमण्यन के मुताबिक इस दौरान निवेशकों ने बैलेंस एडवांटेज फंड, बैलेंस्ड फंड, आर्बिट्राज फंड और दूसरे इक्विटी फंडों में इसी क्रम में पैसे लगाए.
हालांकि अब निवेशकों को म्यूचुअल फंड से औसत रिटर्न की ही उम्मीद करनी चाहिए, क्योंकि इस वक्त बाजार के वैल्युएशंस लंबी अवधि के औसत से ज्यादा हैं. 2 अगस्त को 32,686 प्वॉइंट का शिखर छूने के बाद से बाजार अब तक करीब 3 फीसदी नीचे आ चुका है. इंडेक्स के वैल्युएशंस कई सालों की ऊंचाई के नजदीक हैं.
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