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नंदन नीलेकणि इंफोसिस के नॉन एग्‍ज‍िक्‍यूटिव चेयरमैन बनाए गए

सीईओ विशाल सिक्का के इस्तीफे के बाद से ही इंफोसिस को नए चेयरमैन की तलाश थी

द क्विंट
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नीलेकणि कंपनी के फाउंडर होने और नारायणमूर्ति से अच्छे संबंध होने की वजह से वो बोर्ड और मूर्ति के बीच सुलह करा सकते हैं
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नीलेकणि कंपनी के फाउंडर होने और नारायणमूर्ति से अच्छे संबंध होने की वजह से वो बोर्ड और मूर्ति के बीच सुलह करा सकते हैं
फोटो: PTI

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इंफोसिस के बोर्ड रूम में चल रहे विवाद के बाद गुरुवार को नंदन नीलकेण‍ि की इंफोसिस में वापसी हो गई है. नीलेकणि को नॉन एक्जिक्यूटिव चेयरमैन बनाया गया है. सीईओ विशाल सिक्का के इस्तीफे के बाद से ही कंपनी को नए चेयरमैन की तलाश थी.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, बोर्ड के मौजूदा चेयरमैन आर. शेषशायी और को-चेयरमैन रवि वेंकटेशन ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

इसके अलावा मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद से इस्तीफा देने वाले विशाल सिक्का, निदेशक मंडल के सदस्य जेफरी एस. लेहमन और जॉन एचमेंडी ने भी तत्काल प्रभाव से निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया है, जिसे स्वीकार कर लिया गया है.

बता दें कि इंफोसिस के बोर्ड रूम में चल रहे विवाद के कारण कंपनी के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं. ऐसे में कंपनी के दर्जनभर से अधिक डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स (DII) ने कंपनी से आग्रह किया था कि वो को-फाउंडर नंदन नीलेकणि को वापस बोर्ड में आने का न्योता दें.

बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने इन सब उठा पटक को देखते हुए नीलेकणि को चेयरमैन बनने का न्योता दिया.

इंफोसिस के को-फाउंडर भी हैं नंदन नीलकेण‍ि

बता दें कि इंफोसिस को नारायणमूर्ति और नीलकेणि जैसे 7 साथियों ने मिलकर 1981 में बनाया था. नीलकेणि मार्च, 2002 से अप्रैल, 2007 तक इंफोसिस के CEO रहे थे. निलेकणि ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ज्वॉइन करने के लिए जून 2009 में इस्तीफा देने के बाद से इंफोसिस से लगातार दूरी बनाए रखी थी. को-फाउंडर नारायणमूर्ति के दोबारा इंफोसिस लौटने के बाद भी नंदन ने वापसी नहीं की थी.

फिलहाल, 10 अरब डॉलर की इंफोसिस कंपनी में 62 साल के नीलकेणि का 2.3% शेयर है.

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Published: 24 Aug 2017,10:34 PM IST

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