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वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी / वैभव पलनीटकर
और वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
शेयर बाजार के इंडेक्स सेंसेक्स ने हाल में 50 हजार का आंकड़ा छू लिया है. पिछले दिनों में बाजार ने शानदार दौड़ लगाई है और ऐसे में निवेशकों के मन में कई सारे सवाल आ रहे हैं कि क्या बाजार जरूरत से ज्यादा भाग चुका है? क्या ये लॉन्ग रन जारी रहेगा? किन शेयरों में और भाव बढ़ सकता है? इकनॉमी की हालत खस्ता है फिर भी शेयर बाजार क्यों बढ़ रहा है?
ऐसे सारे सवालों के जवाब जानने के लिए क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने बात की कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के MD नीलेश शाह से.
क्यों रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बना रहा शेयर बाजार?
किसी भी बाजार के बढ़ने के पीछे तीन कारण होते हैं- फंड फ्लो, सेंटीमेंट और फंडामेंटल. मार्च के महीने में जब विदेशी निवेशकों ने 60 हजार करोड़ की बिकवाली की और नवंबर और दिसंबर में जब विदेशी निवेशकों ने 60-60 हजार करोड़ रुपये की खरीदारी की तो बाजार ऊपर आ गए हैं. FPI ने 2020 में 23 बिलियन डॉलर की खरीदारी की है. इसके भी आगे चल रहा है, रिटेल निवेशक. रिटेल निवेशक ने 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है. सेंटिमेंट भी सुधर रहा है. लॉकडाउन के बाद धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हुआ और सेंटीमेंट बेहतर हुए. लेकिन आखिर में बात आती है फंडामेंटल की. निफ्टी-50 के शेयरों को मार्च तिमाही में 50 हजार करोड़ का प्रॉफिट हुआ. जून तिमाही में 45 हजार करोड़ का प्रॉफिट हुआ, इसके बाद सितंबर तिमाही में 1 लाख 10 हजार करोड़ का प्रॉफिट हुआ. तो इस तरह से कंपनियों को 2019 के मुकाबले 2020 में निफ्टी-50 की कंपनियों को 35% ज्यादा का मुनाफा हुआ. दिसंबर 2020 1 लाख से ज्यादा का प्रॉफिट हो चुका है.
इकनॉमी का जो डेटा आ रहा वो बीते हुए टाइम का डेटा है लेकिन शेयर बाजार भविष्य को देखकर रिएक्ट कर रहा है.
क्या अगले साल इतना बढ़ेगा बाजार?
बाजार ने काफी हद तक पॉजिटिव डिस्काउंट कर लिया है. कुछ अहम आंकड़े देखते हैं. GST कलेक्शन 3 महीने से 1 लाख करोड़ के ऊपर चल रहा है, दिसंबर 2020 में ई-वे बिल जनरेशन 16% का इजाफा, विदेशी मुद्रा भंडार - करीब 600 बीलियन डॉलर, रिकॉर्ड ऊर्जा खपत : 187 हजार मेगा वाट हो रहा है. इन सब आंकड़ों से लगता है कि बाजार ने ये सब भुना लिया है. मार्केट कैप टू GDP रेश्यो भारत में अभी-करीब 100% चल रहा है लेकिन भारत का लॉन्ग टर्म ऐवरज 75% रहा है. लेकिन दुनिया में 115% चल रहा है. तो हम अपने एवरेज से ज्यादा हैं लेकिन दुनिया के एवरेज से पीछे चल रहे हैं.
डॉलर अटका तो बाजार को झटका?
रिटेल निवेशक मार्च से ही खरीदारी कर रहा था लेकिन देशी निवेशक काफी संकोच के साथ पैसा लगा रहे थे. नवंबर दिसंबर में बाजार 20% से ज्यादा बढ़ गया. इसमें सबसे बड़ा हाथ FPI निवेशकों का था. ग्लोबल बाजार की लिक्विडिटी से पैसा भारत आ रहा है. कल अगर ग्लोबल लिक्विडिटी कम होती है तो भारत में निवेश कम भी हो सकता है. लेकिन नवंबर दिसंबर की तरह हालात नहीं होंगे.
महंगे बाजार में कैसे तलाशें कमाई के मौके?
बाजार के बारे में ये धारणा कि बाजार महंगा हो गया है ये गलत है. पिछले 12 महीनों का PE रेश्यो का विश्लेषण करें तो दिसंबर, मार्च, जून के नंबर उतने अच्छे नहीं थे. पहले पीई रेश्यो महंगा लगता है लेकिन सिर्फ सितंबर तिमाही का देखें तो काफी अच्छा दिखता है.
MSME और बेरोजगारी का दर्द कब होगा कम?
छोटी इंडस्ट्री और बेरोजगारी का डेटा थोड़ी देर से आता है. अगर हम ट्रेंड्स को देखें तो CMIE के दिसंबर 2020 में 9% से ज्यादा बेरोजगारी थी. बाजार अनुमान लगा रहा है कि जैसे-जैसे रिकवरी बढ़ेगी तो बेरोजगारी भी प्री-कोविड स्तर पर आ जाएगी. रेलवे माल ढुलाई का डेटा MSME की बेहतरी के संकेत दे रहा है. ई-वे जेनरेशन बिल को देखें तो दिसंबर 2020 में 16% की वृद्धि देखने को मिली. रिस्क लेने वाले इन डेटा को देखकर निवेश कर रहे हैं. लेकिन जो लोग इस वक्त बियरिश हैं वो पुख्ता डेटा आने का इंतजार कर रहे हैं.
नए छोटे निवेशकों को क्या सलाह देंगे?
छोटे और नए निवेशक बड़ी मजबूती से खेल रहे हैं. युवा निवेशकों के बर्ताव में गजब का बदलाव आया है. ये निवेशक अब काफी अनुशासित है और अच्छे फैसले ले रहे हैं. यंग इंडिया ने क्वालिटी स्टॉक्स खरीदे हैं और ये एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है.
5 साल में कहां जा रहा है सेंसेक्स?
ये एक दम तय है कि आने वाले वक्त में सेंसेक्स 75,000 और 1 लाख तक भी जाएगा. लेकिन कितनी देर में जाएगा ये कहना मुश्किल है. निवेशकों को ये ध्यान रखना जरूरी है कि शेयर बाजार से लंबी अवधि में 10-12% सालाना रिटर्न निकाला जा सकता है.
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