Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कैश की तंगी दूर होने में लग सकता है 6 महीने तक का समय

कैश की तंगी दूर होने में लग सकता है 6 महीने तक का समय

बैंक और एटीएम से पैसा निकालना अब उतनी ही बड़ी चुनौती है, जितनी 10 नवंबर को थी.

चंदन नंदी & मयंक मिश्रा
बिजनेस
Updated:
(फोटो: AP)
i
(फोटो: AP)
null

advertisement

रिजर्व बैंक की तरफ से भले ही भरोसा दिलाया जा रहा है कि सब कुछ जल्द ही नॉर्मल होने वाला है, लेकिन करेंसी छापने वाली प्रेस की मौजूदा क्षमता को देखते हुए लगता है कि कैश की तंगी ठीक होने में कम से कम और 175 दिन लग सकते हैं. वो तब होगा, जब प्रेस से पॉकेट तक नोट को पहुंचाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए.

रिजर्व बैंक की तरफ से बुधवार को घोषणा हुई कि बैंकिंग सिस्टम में 3.81 लाख करोड़ रुपये के नए नोट डाले जा चुके हैं. मतलब यह हुआ कि सिस्टम में अब भी करीब 11 लाख करोड़ रुपये की कमी है, क्योंकि 8 नवंबर को करीब 15 लाख करोड़ रुपये के 500 और 1000 के नोट अवैध कर दिए गए थे.

सूत्रों की मानें, तो देश की चारों करेंसी प्रिंटिंग प्रेस हर दिन 6,300 करोड़ रुपये के नए नोट छाप रही हैं. अगर इसी रफ्तार से नोट छपते रहे, तो और 11 लाख करोड़ छापने में कम से कम 175 दिन लग सकते हैं. यह तभी संभव हो पाएगा, जब सारे प्रिंटिंग प्रेस लगातार काम करते रहें.

अब दो और आंकड़ों पर नजर डालते हैं. अनुमान है कि नोटबंदी के ऐलान के 15 दिन बाद लोगों के पास करीब 1.5 लाख करोड़ पहुंचे. इसका मतलब यह कि हर दिन लोगों तक 10,000 करोड़ रुपया पहुंचा. दूसरी तरफ आरबीआई का कहना है कि 6 दिसंबर तक बैंकिंग सिस्टम में 3.81 लाख करोड़ रुपये के नए नोट डाले गए. यानी हर दिन करीब 14,000 करोड़ रुपये.

इन दोनों आंकड़ों को देखने के बाद भी यह संकेत मिलता है कि नोटबंदी से पहले सिस्टम में जितना कैश था, उस स्तर पर पहुंचने के लिए 80 से 110 दिन और लगेंगे.

यही वजह है कि नोटबंदी को एक महीना पूरा हो गया है, लेकिन बैंक और एटीएम से पैसा निकालना अब उतनी ही बड़ी चुनौती है, जितनी 10 नवंबर को थी. आंकड़ों को देखने पर यह भी पता चलता है कि जितने नए नोट छप रहे हैं, उनमें सबसे बड़ी मात्रा 2000 नोट की ही है. 500 के नोट छपने में काफी देरी हुई और अब भी इसकी छपाई मांग से काफी कम है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 08 Dec 2016,07:02 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT