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NSC: डाकघर की इस स्कीम में बेहतर रिटर्न के साथ टैक्स की बचत
Income Tax Saving Scheme: इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स की बचत होती है.
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NSC: डाकघर की इस स्कीम में बेहतर रिटर्न के साथ टैक्स की बचत
(फोटो- I Stock)
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Income Tax Saving Scheme: टैक्स की बचत, बेहतर रिटर्न और सुरक्षित निवेश के पोस्ट ऑफिस की नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) एक बेहतर बिकल्प हो सकता हैं. पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम में अच्छे रिटर्न के साथ इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स की बचत होती है.
इस सेक्शन के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की राशि पर टैक्स कटौती का फायदा उठाया जा सकता है. इनकम टैक्स निकालते वक्त सेक्शन 80C के तहत एक टैक्सपेयर को डिडक्शन का फायदा मिलता है.
ब्याज दर और अवधि
पोस्ट ऑफिस की नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) स्कीम में अभी सालाना 6.8 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है. इसे सालाना आधार पर कंपाउंड किया जाता है लेकिन भुगतान मेच्योरिटी पर ही होता है. इस स्कीम का टेन्योर 5 साल का है.
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महत्वपूर्ण बातें
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में कम से कम 1000 रुपये का निवेश जरूरी होता है, जो 100 रुपये के मल्टीपल में करना होगा. अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है.
स्कीम में सर्टिफिकेट कोई भी एक व्यस्क, अधिकतम तीन व्यस्क मिलकर ज्वॉइंट अकाउंट, 10 साल से ज्यादा उम्र का नाबालिग ले सकता है.
NSC को किसी भी भारतीय डाकघर से खरीदा जा सकता है.
ब्याज सालाना जमा किया जाता है लेकिन भुगतान मेच्योरिटी पर ही किया जाता है, जिसमें TDS की कटौती नहीं होती है.
NSC को सभी बैंकों और NBFC द्वारा लोन के लिए कोलैटरल या सिक्योरिटी के रूप में स्वीकार किया जाता है.
निवेशक अपने परिवार के किसी भी सदस्य को नॉमिनी बना सकता है.
NSC को, जारी होने से लेकर मैच्योरिटी डेट के बीच एक बार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर किया जा सकता है.
कौन कर सकता निवेश
सभी भारतीय निवासी NSC में निवेश कर सकते हैं. गैर-भारतीय नागरिक (NRI) NSC नहीं खरीद सकते हैं. हालांकि, अगर किसी निवासी भारतीय ने NSC खरीदा है और मेच्योरिटी से पहले एनआरआई हो जाता है तो भी उसे इसका लाभ मिलता है.
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