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वित्तमंत्री जी से एक सवाल- एक महीने में क्रूड 30 परसेंट सस्ता हो गया है, तो पेट्रोल और डीजल के दाम सिर्फ 10 परसेंट ही कम हुए, ज्यादा क्यों नहीं?
मंगलवार की रात को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड के दाम 7 परसेंट गिर गए, फिर भी बुधवार की सुबह घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल के दाम में एक पैसे भी कमी नहीं की गई.
एक महीने में दिल्ली में पेट्रोल के दाम 84 रुपए लीटर से घटकर करीब 76 रुपए तक खिसके हैं] मतलब 8 रुपए प्रति लीटर की कमी. इसी तरह डीजल करीब 8 रुपए घटकर 71.27 रुपए तक आया है. अब इसी के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड के भाव देखें, तो ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर से अब ब्रेंट 63 डॉलर तक आ गया है.
भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पर दो बातों का असर पड़ता है:
रुपए के मोर्चे पर भी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को राहत मिली है. लगातार डॉलर के मुकाबले 74 के आसपास चल रहा रुपया अब 72 के नीचे आ गया है.
सरकार ने भी उस वक्त महंगे पेट्रोल-डीजल के लिए महंगे क्रूड के साथ-साथ रुपए की गिरावट को जिम्मेदार ठहराया था. इसका सीधा रिश्ता यही है कि क्रूड इंपोर्ट होता है और रुपये के कमजोर होने से क्रूड और महंगा हो जाता है.
डीजल कई राज्यों में पेट्रोल से महंगा हो गया है. 7 साल पहले इसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता था. तब दोनों के बीच 30 रुपए लीटर का फर्क था, जो घटते-घटते 5 रुपए से भी कम रह गया.
पेट्रोल और डीजल के दाम टेक्निकल तौर पर डीकंट्रोल हैं, यानी कंपनियों को दाम तय करने का अधिकार है. भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम रोज बदलते हैं. पेट्रोलियम कंपनियां क्रूड की 15 दिन की औसत कीमत और डॉलर के मुकाबले रुपए के भाव से दाम तय करती हैं.
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