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देश में मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियां दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई हैं. अक्टूबर में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़े नए ऑर्डर और उत्पादन की रफ्तार धीमी रही. मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों को दिखाने वाला परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स (PMI) में गिर कर 50.6 पर पहुंच गया, जबकि सितंबर में यह 51.4 पर था. 2017 के बाद पहली बार इस सेक्टर के बिजनेस कॉन्फिडेंस में इतनी गिरावट दर्ज की गई. अमेरिका-चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर की वजह से ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग में गिरावट का असर भारत में भी दिख रहा है.
इंडेक्स में घरेलू मांग को दिखाने वाला इंडेक्स घट कर 51.3 पर पहुंच गया है. सितंबर में यह 52.3 पर था. अक्टूबर 2017 के बाद यह सबसे निचला स्तर है. इससे मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में भर्तियों को झटका लगा है. भर्तियां छह महीने की न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है.
इन हालातों की वजह से इकनॉमिक स्लोडाउन और गहराता जा रहा है. आरबीआई आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस साल अब तक ब्याज दरों में 135 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है. लेकिन हालात सुधरते नहीं दिखे. खुद आरबीआई अपना ग्रोथ अनुमान 6.9 फीसदी से घटा कर 6.1 फीसदी कर दिया है.
गुरुवार को आए आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में कोर सेक्टर के उत्पादन में भी 5.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. अगस्त में इसमें 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. कोर सेक्टर के इंडेक्स में गिरावट कोल माइनिंग में कमी की वजह से आई है. कोल माइनिंग में उत्पादन की गिरावट निगेटिव जोन में पहुंच गई है.पिछले साल सितंबर में कोर सेक्टर के उत्पादन में 4.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. जबकि अप्रैल-सितंबर 2019 में गिरावट 1.3 फीसदी दर्ज की गई है.
कोर सेक्टर इंडस्ट्रीज में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, स्टील, सीमेंट, बिजली, फर्टिलाइजर और रिफाइनरी प्रोडक्ट सेक्टर आते हैं. कुल औद्योगिक उत्पादन इंडेक्स में इसकी हिस्सेदारी 40.27 फीसदी है. इसका मतलब यह है कि नवंबर में जारी होने वाले औद्योगिक उत्पादन पर भी इसका असर दिखेगा.
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