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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने 15 मई को कहा है कि कोरोना वायरस संकट शायद भारत की आजादी के बाद के इतिहास का सबसे बड़ा संकट है. उन्होंने ये भी कहा कि ऐसे कई मौके आए हैं जब भारत सरकार लोगों की मदद करने के लिए मौजूद नहीं रही है. राजन कोरोना की पहली और दूसरी लहर में फर्क करते हुए कहते हैं कि पहली वेव में आर्थिक पहलू ज्यादा हावी था लेकिन इस बार आर्थिक के साथ-साथ मानवीय और सामाजिक पहलू भी अहम रहा है.
शिकागो यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित किए गए एक वर्चुअल कार्यक्रम में बोलते हुए रघुराम राजन ने कहा-
रघुराम राजन ने कोरोना महामारी पर बोलते हुए कहा कि 'महामारी का एक असर ये हुआ है कि हम कई कारणों की वजह से सरकार की मजूदगी नहीं देखते. सरकार नदारद रही है. मैं उम्मीद करता हूं कि जल्द से जल्द कोरोना संकट दूर हो. महामारी ने साबित कर दिया है कि हम सब आपस में जुड़े हुए हैं. कोई व्यक्ति अकेला नहीं है.'
बता दें कि रिजर्व बैंक में बतौर गर्वनर अपनी सेवाएं दे चुके रघुराम राजन अमेरिकन विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में प्रोफेसर हैं. राजन का रिजर्व बैंक में कार्यकाल यादगार रहा है. महंगाई पर लगाम लगाने वाली उनकी नीतियों को काफी सराहा गया और उनकी खूब तारीफ भी हुई.
राजन का कहना है कि- सरकारों को बदलाव करने पड़ते हैं, खुद की गलतियों को सुधारना होता है और ये खुशफहमी के साथ भी किया जा सकता है. राजन ने कहा कि भारत के छोटे और लघु उद्योगों को तेज बैंकरप्सी प्रक्रिया की जरूरत है.
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